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इन रास्तों को अपनी आदत पड़ने दो

in raston ko apni aadat paDne do

रेखा चमोली

रेखा चमोली

इन रास्तों को अपनी आदत पड़ने दो

रेखा चमोली

और अधिकरेखा चमोली

    लड़कियो!

    निकलो घरों से बाहर और गलियों रास्तों दुकानों बाज़ारों में फैल जाओ

    नुक्कड़ हो या चौराहा

    चाय पकौड़ी, राजमा चावल, मूँगफली की ठेली

    नदी के किनारे पहाड़ के ऊपर

    जहाँ भी पहुँच सको पहुँचो

    देखो लोगों को

    सब्ज़ी के ट्रक से सब्ज़ियाँ उतारते

    दूध की गाड़ी का इंतेज़ार करते

    टैक्सी की अगली सीट के लिए धक्का मुक्की करते

    काम के लिए परेशान मज़दूरों के झुंड देखो

    देखो जो भी दिखता है सड़क पर

    देखो क्या-क्या बिकता है सड़क पर

    सड़क पर कितनी लाचारी है

    बाज़ार में कितनी मारा मारी है

    दर्ज़ी की दुकान पर गले के डिज़ाइन, कुर्ते की लंबाई जाँचों

    नाई की दुकान पर बालों की नई स्टाइल

    दिखो, शॉपिंग मॉल से लेकर हरमाल दस रुपए की चीज़ें ख़रीदती

    पोस्ट ऑफ़िस के आगे रुको थोड़ी देर

    पहली बार परीक्षा फ़ॉर्म भरने आए बच्चों की मदद करो

    अस्पताल का चक्कर लगाओ

    कुछ नहीं तो किसी बीमार के साथ आए परेशान तीमारदार से बतियाओ थोड़ी देर

    उनके लिए चाय ले आओ

    दुकानदारों के काउंटर बजाओ

    मेले में जाकर चर्ख़ी से चिल्लाओ

    मेन मार्केट के चौक पर कोई नुक्कड़ नाटक खेलो

    दुनिया तुम पर हँसती है तो हँसने दो

    लोग तुम्हें घूरते हैं तो घूरने दो

    हँसो बोलो चलो दौड़ो रुको बैठो उठो

    कुछ कर सको तो थोड़ी देर चुपचाप बैठी रहो नदी किनारे

    किसी ख़ूबसूरत पेड़ के पास एक दो सेल्फ़ी लो

    लड़कियों इन गलियों, रास्तों, दुकानों, बाज़ारों को अपनी आदत पड़ने दो

    स्रोत :
    • रचनाकार : रेखा चमोली
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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