हाउस हसबैंड बनना चाहता है हीरामन
house hasbainD banna chahta hai hiraman
आजकल हीरामन को जगा है नया शौक़
हाउसवाइफ़ की तर्ज़ पर वह
बनना चाहता है हाउस हसबैंड
…अब नौकरी के लिए
कौन भटके
उधर से इधर
इधर से उधर
हीराबाई कमाकर लाएगी
और मौज उड़ाएगा हीरामन
दोस्तों से गप्प लड़ाएगा
भर दिन लंठई करेगा
दुनिया भर की हाउसवाइफ़ के
आँसुओं को गरियाएगा
खाना पकाते हुए सेल्फ़ी ले पोस्ट करेगा
सदियों से चली आ रही परंपरा की
अपनी बकैती में ऐसी तैसी कर
प्रोग्रेसिव कहलाएगा हीरामन।
पर हीराबाई ने रख दी है शर्त
हाउस हसबैंड के रास्तों पर
उग आए हैं नुकीले काँटे
नियम-क़ायदों का लग गया है ताला
अब सास-ससुर-साली-सलहज की सेवा कर
उनके ताने सुन चुप रह जाएगा हीरामन
ज़रा-सी बात पर पब्लिकली हाथ उठाएगी हीराबाई
घंटों कलीग से बतियाएगी
देर रात घर आएगी
ऐय्याशियों पर अपनी
‘वीरांगना भोग्या वसुंधरा’ कह मुस्कुराएगी हीराबाई
और उस पर प्यार लुटाएगा हीरामन
कुछ ऊँच-नीच हो जाने पर
ढाल बन आगे खड़ा हो जाएगा।
हीराबाई की शर्त में यह भी है :
गर जो बाहर निकलेगा हीरामन
तो जरा सलीक़े से निकलेगा
ज़्यादा बकबक न करेगा
कुछ लेने से पहले ताकेगा हीराबाई का मुँह
गर पूछे कोई कुछ हीरामन से
तो झट जवाब देगी हीराबाई
आगे चलेगी हीराबाई
पीछे चलेगा हीरामन
कभी प्यार में होगी तो
उसका हाथ थाम लेगी हीराबाई
और फूला न समाएगा हीरामन
चूल्हे, चौके, आटा, नून, तेल, हरदी,
बच्चों की टट्टी,
कपड़े, बर्तन, झाड़ू, पोंछा से फ़ुरसत पाकर
जब पीठ सीधा करने जाएगा हीरामन
तो बिस्तर पर बुला लेगी हीराबाई
और उसकी दुखती देह को
कामुक नजरों से देखेगी, नोचेगी
फिर लंबी तान सोएगी हीराबाई।
शर्त के मुताबिक़ ख़ुश होगा हीरामन
क्योंकि मिलेगी उसे पूरी सुरक्षा
रखी जाएगी उस पर नज़र
कि कहीं बदचलन न हो जाए हीरामन
सो समय-समय पर उसे पीटेगी तो प्यार भी करेगी हीराबाई
करवाचौथ पर मिलेंगे मनपसंद कपड़े
पैर छुएगा हीरामन
और अखंड सौभाग्यमय होने का आशीर्वाद देगी हीराबाई
अपने हाथों से पानी पिलाएगी
और कृतार्थ होगा हीरामन।
हीराबाई ज़ालिम नहीं लिबरल है
कुछ सख़्ती तो कुछ नरमी से भी पेश आएगी।
गर जो तंगी में होगी वह
तो नहीं कहेगी माँ-बाप के घर से
पैसे लाने को हीरामन से
नहीं फेंकेगी मुँह पर तेज़ाब
नहीं जलाएगी ज़िंदा उसे
पर हाँ, शादी में मिले गहने
जिसे बग़ैर इजाज़त
माँ की दवाई
बहन की सगाई
अपनी बीमारी में भी
नहीं ख़र्च कर सकता है हीरामन
उसे गिरवी रखेगी तो हीराबाई ही।
अपनी बूढ़ी माँ, जवान कुँवारी बहन के आँसुओं को देख
उनसे मिलने को गर जो तड़पेगा हीरामन
तो पुराने यार से मिलने का लांछन लगा
उसे जूते मार घर से निकाल सकती है हीराबाई।
ख़ुश हो जाना हीरामन
क्योंकि महीने के चार दिनों
और उन नौ महीनों का
प्राकृतिक उपहार नहीं दे पाएगी
तुम्हें कभी हीराबाई
पर हाँ, तुमने जो दिया है सदियों से उसे
किए हैं कई ज़ालिम उपकार
ज़रूर वह तुमको लौटाएगी एक दिन हीराबाई।
- रचनाकार : मणिबेन पटेल
- प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका
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