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गुफ़ा गर्जना

gufa garjana

नगेन्द्र थापा

नगेन्द्र थापा

गुफ़ा गर्जना

नगेन्द्र थापा

और अधिकनगेन्द्र थापा

    अपोलो पर चढ़के थका-माँदा आता है मेरा पुत्र

    जन्म देनेवालों से पराजित होकर

    आता है मेरा बहादुर-सा बेटा

    माँ की ममतामयी गोद में खेलने।

    आओ, समयानुकूल है तुम्हारा प्रत्यागमन।

    प्रतिकूलता चुकी है पदचिह्नों और उस धूल में

    जिसमें तुम खड़े रहे हो

    दो आँखें एक ही बार हत्या और आत्महत्या करती हैं।

    एक उद्धत दिमाग़ आगे बढ़ता है बेटी को पुचकारने

    हाथ स्वतः बलात्कार करने पहुँचते हैं।

    हृदय को दिख सकने योग्य बनाकर देखो केवल

    रेती में फेंका हुआ

    एक पत्थर दूसरे को पहचानता नहीं,

    एक ही घर की ईंटें

    सटी हुई होकर भी एक दूसरे से

    एक दूसरे को छूतीं नहीं

    धुएँ की सियाही है जगह-जगह

    धोबी के संशय व्याप्त हैं उनमें

    मुड़कर देखो एक बार पीछे की ओर

    खोजो इधर-उधर

    कहीं तुम लोगों की धरोहर छूट गई है क्या?

    टटोलो गुम्बज के इस अँधेरे कोने में

    तुम लोगों का कुछ खोया है क्या?

    कबूतर की दृष्टि से स्पर्श करो

    इस नुकीली चिपटी चट्टान छाती में ही

    तुम लोगों के प्रारब्ध तो नहीं उलझे?

    तुम लोगों की नंगी और पुरानी तस्वीर

    हाथ फैला रही है

    सड़ा दिमाग़, विश्रान्ति के लिए

    रोम-रोम में अटकी हुई कालिख

    विकृत ध्वनि में बंद तुम लोगों का बचना;

    आओ, पेड़ों के छिलके समेटकर आग जलाओ

    और कथा कहो, 'किसी एक देश में गुम्बज था…’

    —कहते हैं...

    ...फिर घूमते-घूमते

    हम वहीं पहुँच गए।

    स्रोत :
    • पुस्तक : नेपाली कविताएँ (पृष्ठ 39)
    • संपादक : सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
    • रचनाकार : नगेन्द्र थापा
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 1982

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