Font by Mehr Nastaliq Web

गृद्ध

griddh

धरती के इतिहास में युग-युग से तुम्हारा नाम लिखा हुआ है

बाढ़, महामारी, अकाल के महाकाल पथ में तुम दिखाई देते हो

जीवन का 'बड़दाण्ड' पथ जहाँ अश्रु के हाहाकार से

मर उठता है, हे गृद्ध, वहाँ तुम छाया-पात करते हो।

हे अद्भुत-रुचिप्रस्त, पूतिगंध-क्षुधार्थ गृद्ध

जीव की मरण-पंजिका के संबंध में क्या तुम्हें सब-कुछ ज्ञात है?

मृत्यु जब माता की गोद से प्यारे बच्चे को छीन लेती है

शव-लोभी कहाँ से आकर तुम कैसा अभिनंदन देते हो

जीवितों के तुम नहीं, केवल शव-साथी तुम्हें जानता हूँ

तुम्ही तो थे उस त्रेता युग में प्रबुद्ध संपाति?

तुम थे कुरुक्षेत्र में रक्त-नदी-संतरण के समय

क्या कोई वहाँ तुम्हारी विराट् तृष्णा को बुझा सका

'नवाक' के बंधुवर तुम्हारा आवाहन होता है, उधर

इंडोचीन के समरागण में फार्मोसा के प्रांतर में

दया-तट पर जहाँ चंडाशोक धर्माशोक हुए

आज भी उसी के तट पर तुम्हारे लिए संग्राम हो रहा है

आज एकाग्र मंडली में तुमने अवतार लिया है

मायावी, संचयवादी, श्रेणीबद्ध नर-गृद्धदल

नंगे-भूखों के नाम पर शोर मचा रहे हैं

तुम्हारे आगमन के लिए विराट् उत्कल को मिटाकर।

कच्चे और हरित पथ पर जहाँ चरणों की रुनझुन बजती है

भ्रमर-गुंजन से जीवन का आशीर्वाद डोलने लगता है

कुंचित कबरी के नीचे जहाँ सद्यःपुष्प खिलते थे

वहाँ तुम्हारे लिए क्लेद-मेद-भूमिष्ठ शिशु का भोज है।

'योजना' के महापथ में दूर तक देखो दिग्वलय-ग्रासी

इस जाति के मंदिर पर तुम्ही आकर बैठे हो, गृद्ध

इस जनता को महा चान्द्रायण व्रत का पालन करना होगा

वरना धरती के पृष्ठ से उड़िया की सत्ता मिट जाएगी।

उठाकर रुजु ग्रीवा, बंद कर भीम पख, तुम किसे ताक रहे हो

चारों तरफ़ अंधकार है, बाहर-भीतर सर्वत्र हाहाकार

राम गए वनवास , माया-मृग मारने को गए वन में

कौन सीता का करेगा उद्धार, मैं ‘निआखुटा’ लेकर पुकार रहा हूँ।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारतीय कविता 1954-55 (पृष्ठ 61)
  • रचनाकार : गोदावरीश महापात्र
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए