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जनरल बोगी

general bogey

नीलेश रघुवंशी

नीलेश रघुवंशी

जनरल बोगी

नीलेश रघुवंशी

और अधिकनीलेश रघुवंशी

    अरे इते नहीं इते नहीं जगह नहीं जहाँ पे भैया

    आगे... आगे के डिब्बे में जाओ

    अबे भाडू हम झाँसी से इसी पे बैठ के रहे हैं चल उठ

    चलती ट्रेन पर लटके लड़के चीख़े जान लेगा क्या हमारी

    मारी सीटी आधी रात में रेल ने...

    ठसाठस भरी बोगी बमुश्किल उतरा एक और सवार हुए दस-बीस इकट्ठे :

    एक सीट पर बैठे चार-चार अड़ा है पाँचवाँ बैठने के लिए

    लुढ़कते-गिरते-पड़ते सामान पर टेगा लगाए

    कुछ लेटे पैरों में कुछ एक दूसरे के ऊपर

    बूढ़ी अधेड़ औरतें नींद में भी सँभाले पल्लू में बँधे-तुड़े-मुड़े नोट

    सुगंध दुर्गंध से परे छिल रहे सबके कंधे टकरा रहे हैं सर

    नींद के झोंके ट्रेन के संग गच्छा खाते

    चलो-चलो उठो...

    जनरल में सबको बैठने को जगह दो बोले एक बाबूजी स्टाइल में

    यहाँ खड़े होने की जगह नहीं और तुम पसर रहे हो

    सोना ही है तो...

    नींद में हड़बड़ाता उठ खड़ा आदमी थोड़ी देर में झूलने लगता है फिर

    जो बक-बक कर रहा थो वो भी...

    नींद जब अपनी पर आती है तो कहीं भी अपना बिछौना

    बिछवा लेती है।

    देखो मूँगफली के छिलकों और चप्पलों पर ही टिकाए हैं

    सब अपनी कोहनी

    और वो पान-मसाला बेचता बच्चा कैसा बेसुध

    चिल्लर से भरी थैली को मुट्ठी में कसे मुस्कुरा रहा है नींद में

    क्या स्वप्न देख रहा होगा वो इस समय

    कितनी गाढ़ी होती जा रही है उसकी मुस्कान

    ऐसी ठेलमठेल और धक्का-मुक्की पाँव धरने की जगह नहीं आदमी को

    वहीं कितने ठाठ से बैठे हैं लकड़ियों के ये गट्ठर

    गट्ठरों के संग आदमियों और औरतों का झुंड आधे पाँव पसारे

    राहत की साँस के संग जाने वाला है थोड़ी देर बाद नींद में

    लो शौचालय के दरवाज़े को ही बना लिया उन्होंने अपना तकिया

    मस्ता रहे हैं लड़के लोगों को देख-देखकर

    क्या दादा कहीं भी लुढ़क जाते हो तुम और अम्मा तुम भी

    घर में तो बड़ी चतुराई बघारती हो एँ...

    धड़धड़ाती ट्रेन ने मारी सीटी फिर आधी रात में

    लगा रहे हैं लड़के शर्त...

    अगले स्टेशन पर जब रुकेगी ट्रेन तो कितने चढे़ंगे दस कि पचीस

    हिलकोले खाए ज़ोर से ट्रेन ने, गिरे लड़के एक दूसरे पर

    नींद में चौंकी पूरी जनरल बोगी अबकी सवार हुए इकट्ठे पचास-साठ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : नीलेश रघुवंशी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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