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गांधी का चेहरा

gandhi ka chehra

रमाशंकर सिंह

रमाशंकर सिंह

गांधी का चेहरा

रमाशंकर सिंह

और अधिकरमाशंकर सिंह

    गांधी सच बोलते थे

    आज के नेता बोलते हैं झूठ

    भोंपू लगाकर

    गांधी अहिंसा की बात करते थे

    आज के नेता सबसे पहले ख़रीदते हैं राइफ़ल

    क़ुरआन उतनी ही पवित्र थी उनको

    जितनी गीता और गुरु ग्रंथ साहिब

    बाइबिल को तो ख़ूब पढ़ा था उन्होंने

    गांधी ने बैंक में चुराकर जमा नहीं किए पैसे

    हवाला से नहीं भेजा पैसा

    अपने दोस्त आइंस्टीन को

    पाई-पाई का दिया हिसाब

    पूरे देश को

    गांधी ने छापे अपने विरोधियों के ख़त

    अपने ही अख़बार में

    वह जानते थे

    बोलता हुआ या चुप आदमी

    ईश्वर का अवतार है

    जिसे वह राम कहते थे

    जिन्होंने उनका क़त्ल करना चाहा

    गांधी ने उनके लिए

    अकेले में कीं प्रार्थनाएँ

    रोए ज़ार-ज़ार

    जैसे कर्बला से लौट रहा कोई वृद्ध रोए

    गांधी ने अपने को मनुष्य मानने से पहले

    सबको माना मनुष्य

    सबकी भूख

    सबके आँख के पानी के बारे में सोचा

    गांधी जानते थे

    लालच से उपजती है हिंसा

    इसलिए नहीं बनाया कोई महल

    इसी में कहीं क़ैद हो जाएँ

    रघुपति राघव राजा राम

    कि अबके बरस जब आएगा

    दो अक्टूबर

    हिंसक, बेईमान और लालची

    गाएँगे गांधी का भजन

    ग़ौर से देखिए उनके चेहरे

    कहीं कोई जाना-पहचाना तो नहीं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : रमाशंकर सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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