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ऊँट

unt

बड़ी मुश्किल से मैं उसे मुहावरे से बाहर लाया

अब वह किसी भी करवट बैठ सकता है

जा सकता है किसी भी तरफ़

उसके लिए ख़ुली है सब दिशाएँ

पिछले अकाल में कुछ ढीले पड़ गए हैं पुठ्ठे

लटक आई है खाल लेकिन इतनी नहीं

कि हम बेवजह शोकाकुल हों

वह अभी भी खड़ा है इस रूखी-सूखी धरती पर

एक उम्मीद की तरह

उसने एक घर को उजड़ने से बचाया है

अपनी पीठ पर लादी है गृहस्थी

बच्चों-बूढ़ों और औरतों को

गाँवों, ढाणियों और बस्तियों को

ऊँटों ने बचाया है हर बार

रेत के इस हाँफते मुल्क को

अभी पार करने है कई अकाल

बंजर धरती के टुकड़े रेत के पहाड़

अभी करनी है हमें पानी की खोज

अभी चलना है कई बरस कई कोस

यहीं पर लुटे थे

यहीं पर लुटेंगे सौदागरों के क़ाफ़िले

यहीं पर टूटेगा उनका दम

यहीं पर उठेगी काली-पीली आँधी

फिर दिखाई पड़ेगा ऊँटों का एक झुंड

एक गाँव से दूसरे गाँव जाता हुआ।

स्रोत :
  • पुस्तक : बढ़ई का बेटा (पृष्ठ 21)
  • रचनाकार : कृष्ण कल्पित
  • प्रकाशन : रचना प्रकाशन
  • संस्करण : 1990

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हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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