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एक चेहरे को समर्पित रहता है जन्म

ek chehre ko samarpit rahta hai janm

ज्याेति शोभा

ज्याेति शोभा

एक चेहरे को समर्पित रहता है जन्म

ज्याेति शोभा

और अधिकज्याेति शोभा

    एक चेहरे को समर्पित रहता है जन्म

    गुलाब की तरह मैं चाहूँ भी तो नहीं बदल सकती

    चेहरे की ओट में रखे

    अनगिन शूलों को जो स्वप्न में गड़ जाते हैं

    चाहूँ भी तो पीछे नहीं जा सकती

    19वीं सदी के एक गृह में

    कि एक स्फटिक चेहरे को छू कर देख सकूँ

    उसमें कितना संगीत है

    मैंने सुना

    रात्रिपर्यंत सितारवादन करते एक तरुण का चेहरा

    चंद्रमा की तरह हो गया

    आभा पर पड़ी म्लान छाया लिए

    शायद प्रेम में था

    भीषण वर्षा में औषध लेती स्त्री का चेहरा

    उसके सौंदर्य से भीगा था

    रोग कहीं तल में कीच की तरह बैठा था

    बहुत निर्दोष चेहरे थे उन कामगारों के

    जो साँझ होते एक चौराहे पर

    बीड़ी फूँकते थे

    राजनीति नहीं करते थे

    नौका पर जाता था और तीव्र हवा थी

    फिर भी अचूक बाण की तरह धँस गया एक अभिनेता का चेहरा

    पुतलियों के रक्तिम ताप के अतिरिक्त

    श्वेत-श्याम रंग में ढला था

    साँवले चेहरे वाला एक मुस्लिम रजक सदा मुस्कुराता है

    इतने नस्लवाद के छींटों में

    जाने कैसे नहीं धुलती उसकी हँसी

    अनिद्रा की रात्रि

    मुझे आतुर कामना की तरह लगा

    मेरे प्रिय कवि का चेहरा

    जिसमें उसकी एक धवल दंतपंक्ति

    निराकार भाव जैसे कविता में आई थी

    मुझे भय होता है

    चेहरे का संग इतना करुणाजनक है

    कि मृत फूलों के कंकाल में बची कोमलता की तरह

    क्रूरता दिख जाती है

    स्निग्ध शब्दों में भाषण देते नेता के मुख पर

    सिर्फ़ लाठी का संबल लिए चेहरा अहिंसक रह गया

    मारा गया

    हे राम की पताकाएँ जीवित ही रहीं

    युद्ध से लौटकर गृहस्थ अहिंसक हो गए

    भूखे जलपक्षियों की तरह

    उनके चेहरे दूर नहीं जाते थे पानी से

    समाज के लिए लड़ते चेहरे हिंसक नहीं थे

    सिर्फ़ निर्विकार थे

    जैसे जंगली घास होती है

    हर जगह

    मुझे नहीं पता

    अर्थी पर जाते चेहरे और मुझे चूमते चेहरे में क्या भेद है

    इस पार्थिव चेहरों के संसार में

    दोनों अपार्थिव लगते हैं मुझे

    इसलिए मुक्त नहीं हो पाती

    फिरती हूँ जग में यही चिरायंध लिए।

    स्रोत :
    • रचनाकार : ज्योति शोभा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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