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गुड लाइफ़ टिप्स

good laif tips

नीलेश रघुवंशी

नीलेश रघुवंशी

गुड लाइफ़ टिप्स

नीलेश रघुवंशी

और अधिकनीलेश रघुवंशी

    दाँए-बाँए मुड़ता, कट मारता

    गाड़ियों को पीछे धकेलता

    सबसे आगे पहुँचने की जुगत में

    केलों से भरा यह नन्हा-सा लोडिंग ऑटो करना क्या चाहता है

    ‘बड़ा होकर मैं ट्रक बनूँगा’

    बेतरतीब ट्रैफ़िक में ऑटो पर लिखी ये पंक्ति

    बिन मौसम कर रही है बारिश सपनों की

    ऑटो को आसमान में उछालने को जी चाहता है।

    सारी अलाओं-बलाओं को परे धकेलते

    ऑटो की इस धमाचौकड़ी में

    केलों की ख़ुशी देखते ही बनती है

    कितने अच्छे लगते हैं झुंड में केले

    वे एक दूसरे से इतने जुड़े रहते हैं

    कि उन्हें देख जाती है याद अपनों की

    बिना किसी आवाज़ के

    महकने और पकने लगता है मन।

    ट्रैफ़िक जाम और लोडिंग ऑटो के बीच

    झुकती हूँ एक बच्चे की ज़िद के आगे

    देखती हूँ केलों की ओर अटकती हूँ अख़बार के

    ‘गुड लाइफ : ट्राय दिस‘ कॉलम पर

    ‘‘केलों को अलग करके रखें,

    जुड़े हुए केले जल्दी पककर गलने लगते हैं’’

    तो अब क्या

    केले भी एक साथ रह सकेंगे

    सहमकर दुबक रहा है ऑटो मेरे भीतर

    वो तो बड़ा होकर ट्रक बनेगा न?

    दो क्रेनों के बीच फँस गया है लोडिंग ऑटो

    कितना जानलेवा होता जा रहा है जीवन

    तिस पर

    मन है कि सपने देखना नहीं छोड़ता।

    स्रोत :
    • रचनाकार : नीलेश रघुवंशी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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