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धोबी गीत

dhobi geet

जुमई खाँ 'आजाद'

जुमई खाँ 'आजाद'

धोबी गीत

जुमई खाँ 'आजाद'

और अधिकजुमई खाँ 'आजाद'

    बड़ी-बड़ी कोठिया सजाया पूँजीपतिया,

    दुखिया के रोटिया चोराइ चोराइ।

    अपनी महलिया माँ केह्रया उजियावा,

    तू झोपड़िय माँ अतिया लगाइ-लगाई।

    भिटवा बनी ती कतई बनी गड़हिया,

    महला बनी तौ कतहूँ बनी मड़हिया।

    मटिया के दियना तुहीं ती बुझावाया,

    सोनवाँ के बेनावाँ डोलाइ-डोलाइ। बड़ी-बड़ी

    मिलिया माँ ख़ून जरै खेती माँ पसिनवा,

    तबहू तौ नाहीं मिलै पेटवा भै दनवा।

    अपनी गोदमिया माँ खुब भरवाया,

    तू बड़ा-बड़ा बोरवा सियाइ सियाइ। बड़ी-बड़ी

    जे तौ करै कमवा छोट कहवावै,

    उहै बड़ मनई जे जतन बतावै।

    दस कै ससनवा नब्बे पै करवाया,

    तू इहै परिपटिया चलाइ-चलाई। बड़ी-बड़ी

    हथवा माँ तसबी गटइया माँ माला,

    खोइ के इमनवा बटोरया धन काला।

    देशवा का हमरे लूटि केनी खाया,

    तू कड़वौ गुना दमवा बढ़ाइ-बढ़ाइ। बड़ी-बड़ी

    जूड़ भई छतिया तनी के दइड बरसा,

    अबै तौ महलियन माँ खुलिहैं मदरसा।

    दुखिया कै लरिका पढ़इ के बरे जइहैं,

    छोटी-बड़ी टोलिया बनाइ-बनाइ। बड़ी-बड़ी

    बिना काटे भिटवा गढ़हवा पटिहैं,

    अपनी खुसी तौ धन ती बटिहैं।

    जनता कै तलवा तिजोरिया माँ लगिहैं,

    महलिया माँ बजना बजाइ बजाइ। बड़ी-बड़ी

    स्रोत :
    • रचनाकार : जुमई खाँ 'आजाद'
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए शैलेंद्र कुमार शुक्ल द्वारा चयनित

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