Font by Mehr Nastaliq Web

धरती के पुरुष

dharti ke purush

नेहा अपराजिता

नेहा अपराजिता

धरती के पुरुष

नेहा अपराजिता

और अधिकनेहा अपराजिता

    धरती के पुरुष!

    आख़िर क्यों बने रहना चाहते हो देवता?

    तुम इतने मुखर रहे अपने अधिकारों को लेकर

    तुमने जो चाहा वही हुआ

    इस दुनिया में

    किसी देश विशेष में

    किसी शहर विशेष में

    किसी घर विशेष में

    किसी रिश्ते विशेष में

    फिर भी तुम अकेलेपन के शिकार रहे

    तुम्हें तुम्हारी मिल्कियत ने

    नहीं होने दिया इतना सहज

    कि तुम स्वीकार कर सको

    कि तुमको स्त्री की ज़रूरत

    उससे कही अधिक रही

    जितनी किसी स्त्री को तुम्हारी

    तुम रहे उनकी चीख़ों के कारण

    किंतु वे ही रहीं तुम्हारी चीख़ों का निवारण

    तुमको पाला माँ ने

    तुमको साथ मिला बहन का

    तुम्हारी अर्धांगिनी बनी पत्नी

    तुम्हारे हर संकट में खड़ी रही बेटी

    बुढ़ापे में बहू ने ख़ूब सेवा की

    फिर भी पाली तुमने इतनी चिंता

    इतना रहस्य

    इतनी असुरक्षा

    इतनी असंवेदनशीलता

    प्रभुत्व था तुम्हारे पास

    पर तुम बाँट सके अपने दर्द

    अपने रहस्य और असुरक्षा

    उन तमाम स्त्रियों से

    जो तुम्हारे प्रेम में थीं

    तुम्हारे प्रति स्नेह में थीं

    क्यों बनते हो यूँ कठोर?

    डरते हो कि

    वे स्त्रियाँ तुमको

    मारेगी ताने

    जिनके शोषण में रहे तुम भागीदार

    आँसुओं की समान ग्रंथियों का

    वितरण किया था परमात्मा ने

    स्त्री और पुरुष के मध्य

    रोने से यूँ डरना

    तुमको मार रहा है

    और तुमको यूँ घुट-घुट करके

    मरते देखना, मार रहा है

    उस समग्र स्त्री समूह को

    जो जन्म से मृत्यु तक

    बनी रही तुम्हारी माँ

    माँ कुढ़ रही है ममता के ममत्व से

    बहन सच्चे साथी की करुणा से

    पत्नी स्त्री के हर पहलू का स्नेह आँचल में भर

    बेटी अपने हर उस वादे पर

    जो किया था उसने ख़ुद से

    अपने अभिनेता के सम्मान के प्रति

    तुम कितने ख़ुशिक़स्मत रहे पुरुष

    तुमको थामने के लिए

    हर डगर पर मौजूद रही स्त्री

    तुम अपना ख़याल रखो

    कभी नरम होकर

    कभी सहज होकर

    कभी रो-धोकर

    कभी विनम्र होकर

    हे! धरती के देवता

    घबराओ मत

    हर मुश्किल में

    हर हार में

    हर असुरक्षा में

    तुम्हारे जीवन की हर स्त्री

    तुमको थाम लेगी!

    स्रोत :
    • रचनाकार : नेहा अपराजिता
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए