आइ पुनि गोकुल-गलीमे किए हमरा बजा रहलहुँ?
शरद चंद्रक यामिनीमे किए व्रज वन सजा रहलहुँ?
किए यमुना-पुलिन पुलकित कय रहल छी नयन नलिने?
किए मधुमय समय पुनिमक पर्व पुजबी मलय पवने?
सजनि! राधा विरह-बाधा दूर करबा लय न आयब
आइ वृन्दा-कुञ्जमे किन्नहु न हम रस रास गायब
हस्तिनापुर-इन्द्रप्रस्थक दृश्य दुर्गत द्यूत कैतव
सुनि रहल छी जखन शकुनिक दाओ-पेंचक निघिन करतब
एकबसना द्रौपदीकेर लाज अञ्चल जखन लुंठित
गेल गलि-पचि पंचजन युगपुरुष पौरुष परुष कुंठित
टेर कृष्णा केर कृष्णक कान धरि द्रुतगति सुनयबे
असह केशक कथा केशवके खनहु बिसरय न देबे
द्वारका प्रासादसँ रणछोड़के अरि-रंग-मंचे
रण-निमन्त्रण देब, छूटत छनहि जत गृह-रस प्रपंचे
पार्थसारथि हाथमे रथ-रासि देब थम्हाये जा कय
पांचजन्यक घोषमे गीताक अमृतऽध्वनि सुना कय
व्यास व्यस्त सरस्वती-तट महाभारत विरचना हित
तुरित गणपतिके जुमायब चेतना दय लेखना हित
पार्थसारथि रचथु भारत महातथ्य सुझा रहल अछि
मधुर-माहुर भागवत रस-रास एखन बुझा रहल अछि
- पुस्तक : रचना संचयन (पृष्ठ 57)
- संपादक : चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’/ शंकरदेव झा
- रचनाकार : सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
- प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
- संस्करण : 2012
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