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चिड़िया का घर

chiDiya ka ghar

प्रकाश मनु

प्रकाश मनु

चिड़िया का घर

प्रकाश मनु

और अधिकप्रकाश मनु

    चिड़िया को घर बनाना है

    चिड़िया के पास कुछ ख़ास नहीं,

    मगर क्या नहीं है चिड़िया के पास?

    तिनके हैं घास है

    ज़रा-सी कला-कला ढेर-सा उछाह

    और एक बड़ी जिजीविषा

    धूप और पानियों और सादा आसमानों

    की तरह फैली दूर तलक

    आख़िर क्या नहीं है चिड़िया के पास!

    सुतली?

    हाँ, सुतली...

    चिड़िया परेशान!

    महानगर में सुतली...?

    मगर डर क्या

    अगले ही पल वो उड़ी

    और उड़ के गई वहाँ जहाँ ढीली खटिया पर बैठा कवि

    लिखने के बाद कविता पढ़ रहा है कोई किताब

    चिड़िया देखती है कवि की कविता, किताब, चेहरा

    और भरपूर दृष्टि फैला देती है चारपाई पर,

    उसकी चौकन्नी नज़रें देख लेती हैं

    चारपाई का कौन-सा कोना है उसके काम का!

    एक निर्भीक दृष्टि डाल कवि के चेहरे पर

    चिड़िया शुरू करती है अपना काम

    आराम से

    चोंच की ठूँग मार-मारकर निकालती है

    मूँज, निकालती है सुतली

    दस मिनट, मुश्किल से दस मिनट

    और अब दुनिया उसकी है

    उसका है जहान

    चिड़िया चोंच में भर लेती है उतना

    जितना भी उसके बस में है

    और यल्लो, चिड़िया पंखों पर

    नहीं, चिड़िया पर-पर है

    चिड़िया है घर की रानी, चिड़िया है सोनपरी

    बिटिया है लाडली सूरज की

    घास, तिनके, धूप, उत्साह के साथ मिलाकर सुतली

    अपनी अचूक कला से

    रचेगी वह घर

    ज़रूर रच लेगी कल तलक़!

    कैसा भी हो माहौल

    कैसा भी युद्ध या अकाल

    चिड़िया को घर बनाने से भला कौन

    रोक पाएगा?

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रकाश मनु
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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