हमारी दुनिया, हमारी भैंस
hamari duniya, hamari bhains
रमाशंकर यादव विद्रोही
Ramashankar Yadav Vidrohi
हमारी दुनिया, हमारी भैंस
hamari duniya, hamari bhains
Ramashankar Yadav Vidrohi
रमाशंकर यादव विद्रोही
और अधिकरमाशंकर यादव विद्रोही
मैं अहीर हूँ,
और ये दुनिया मेरी भैंस है।
मैं उसे दूह रहा हूँ,
और कुछ लोग उसे कुदा रहे हैं।
ये कौन लोग हैं जो कुदा रहे हैं,
आपको पता है?
क्यों कुदा रहे हैं,
ये भी पता है?
लेकिन इस बात का पता
न आपको है,
न हमको है,
न उनको,
कि इस कुदाने का परिणाम क्या होगा?
हाँ, इतना तो पता है
कि नुक़सान तो हर हालत में
हमारा ही होगा,
क्योंकि भैंस हमारी है,
और दुनिया भी हमारी है।
- पुस्तक : नई खेती (पृष्ठ 125)
- रचनाकार : रमाशंकर यादव विद्रोही
- प्रकाशन : सांस, जसम
- संस्करण : 2011
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