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ब्रेकअप के बाद

brekap ke baad

डॉ. अजित

डॉ. अजित

ब्रेकअप के बाद

डॉ. अजित

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    ब्रेकअप के बाद

    उठ गया था रेखाओं से विश्वास

    शुक्र बुध मंगल पर्वत डूब गए थे

    अविश्वास के समंदर में

    हथेली देखते वक़्त नज़र आता था बस पसीना

    वो उड़ रहा था

    बहने के लिए नहीं मिलती थी उसको जगह

    हाथ तंग हो गया था मेरा

    भटक गया था मन का भूगोल

    अटक गया था यादों का खगोल

    कलाई पर जो बँधा था शुभता का धागा

    उसको काटने की तमन्ना होती थी रोज़

    चाहता था रास्ते में आए कोई मंदिर

    प्रसाद को करना पड़े इनकार

    ब्रेकअप के बाद

    सूरज शाम को चिढ़ा कर जाता था

    सुबह आकर जगाती नहीं थी

    पक्षियों की आवाज़ें लगती थीं कोलाहल

    डायरी में दर्ज हर्फ़ उल्टे हो गए थे सब के सब

    शराब का ख़याल आता

    मगर दिल करता था

    एक भी घूँट पीने को

    अपने सुकूँ के लिए बड़ी लगती थी ये क़ीमत

    ब्रेकअप के बाद

    दिल में क्या तो कोई सवाल था

    या फिर जवाब ही जवाब थे

    जवाब कोई सुनता था

    और सवाल पूछने के लिए

    जगह बची थी

    ब्रेकअप के बाद

    संवेदना का था

    एक बुद्धिवादी संस्करण

    भावुकता का था

    एक लिजलिजा कलेवर

    इन दोनों के मध्य दिल था

    थोड़ा उदास

    ज़्यादा निरुपाय

    ब्रेकअप के बाद जो भी था

    वो ठीक नहीं था

    कितना ठीक नहीं

    ये नहीं बता सकता

    क्यों नहीं बता सकता

    इसकी वजह समझ आई

    ब्रेकअप के बाद।

    स्रोत :
    • रचनाकार : डॉ. अजित
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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