सुखी आदमी की दिनचर्या

sukhi adami ki dincharya

अरविंद चतुर्वेद

अरविंद चतुर्वेद

सुखी आदमी की दिनचर्या

अरविंद चतुर्वेद

और अधिकअरविंद चतुर्वेद

    सुबह की चाय के साथ

    वह बिस्तर में पढ़ता है कुछ हॉट ख़बरें

    ताकि नींद की ख़ुमारी उड़न-छू हो जाए

    इस तरह सुबह-सुबह तरोताज़ा होने में

    आज भी अख़बार वाक़ई बड़े उपयोगी हैं

    दूसरा फ़ायदा यह है कि

    दोपहर के टिफ़िन ऑवर में

    गपशप की ख़ुराक दे जाती हैं ऐसी ख़बरें।

    दाढ़ी बनाते वक़्त

    आधे गाल लगे साबुन और टेढ़े मुँह की 'हाँ-हूँ' के साथ

    पूरी गंभीरता से सुनता है सुखी आदमी

    पत्नी की फ़रमाइश

    और बच्चों की शरारत की शिकायतें।

    नाश्ते की टेबुल पर

    याद करता है कुछ ताज़े चुटकुले

    जो काम आएँ दफ़्तर में बॉस को सुनाने के

    एक सुखी आदमी जानता है कि

    कम्बख़्त कितना कठिन हो चला है आजकल

    किसी आदमी को हँसाना भी।

    सुखी आदमी रास्ते की दुश्चिंताओं को धकेलकर

    शाम को देखता है घर लौटकर टीवी के विज्ञापन

    और किसी दु:स्वप्न से पहले

    देर रात की फ़िल्म देखकर सो जाता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सुंदर चीज़ें शहर के बाहर हैं (पृष्ठ 12)
    • रचनाकार : अरविंद चतुर्वेद
    • प्रकाशन : प्रकाशन संस्थान
    • संस्करण : 2003

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