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ग़ौर करना

gaur karana

बच्चा लाल 'उन्मेष'

जब शहर जले कही धूँ-धूँ कर

फिर कोई कहे थू-थू कर

समझ लेना उसके ही हाथों

रखी गई चिंगारी थी।

जब कहीं किसी का कटा हो सर

फिर कहे कोई किसका है धड़

समझ लेना उसके ही हाथों

चली कटारी आरी थी।

जब कोई लिया हो खेत चर

फिर कोई कहे यार ढाँढस धर

समझ लेना उसके ही पैरों

रौंदी गई क्यारी थी।

जब हरखू की पगड़ी ही ज़ेवर

और कोई कहे इतने तेवर!

समझ लेना उसके ही हाथों

खींची गई सारी थी।

जब गोधना पेट की बात करे

और कोई अध्यात्म की बात धरे

समझ लेना उसके ही हाथों

फैली अछूत बीमारी थी।

जब बेटा मिल में काम करे

और बाप ठाकुर को सलाम करे

समझ लेना उनके ही हाथों

शोषण की रस्में जारी थीं।

स्रोत :
  • रचनाकार : बच्चा लाल 'उन्मेष'
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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