Font by Mehr Nastaliq Web

बौनेपन के ख़िलाफ़

baunepan ke khilaf

प्रांजल धर

प्रांजल धर

बौनेपन के ख़िलाफ़

प्रांजल धर

और अधिकप्रांजल धर

    लंबाई, ऊँचाई और विशालता नवीन जीवन-मूल्य हैं

    शॉर्टकट और ओवरब्रिज इन मूल्यों को हासिल करने के नए रास्ते

    इन्हें जीने वाले नए मनुष्य नए राग भैरव के साथ

    समुद्र किनारे किसी पुलिन पर बैठ

    महसूसता हूँ विशाल बौनापन

    सबसे पहले अपना

    फिर पड़ोसियों का, फिर दफ़्तर का

    शासन का, सत्ता का और दुनिया का बौनापन

    पाँव के नीचे रेत मुझे पानी जैसी लगती

    यह भी महसूसता कि समुद्र किनारे की जलवायु

    कितनी समकारी है

    बहुत सर्दी, बहुत गर्मी

    लेकिन यह समकारी जलवायु

    मुख्यभूमियों का क्षरण कितनी बेक़दरी से कर डालती है

    समुद्र को कूड़ेदान की तरह इस्तेमाल करने वाले लोग

    जत्थों में जा रहे महज अधोवस्त्रों में

    शुद्धता नापने विशाल जल के खारेपन की

    छोड़ जाओ मुझे अकेले किसी अँधेरी गुफा में

    वहाँ दोस्त की शक्ल में दुश्मन और शत्रु के मुखौटेवाले मित्र होंगे

    रोशनी ही होगी जिससे डरना मुझे अनुभव सिखाता गया

    विचारों पर पहरा तो होगा, जिसे झेल-झेलकर असमय बूढ़ा हुआ जाता हूँ

    यह जानते हुए कि युवावस्था ही मेरे सपनों के बदलावों की खान है

    कविताएँ उस खान में उत्खननकर्ता...

    कि युवावस्था ही सबको एक गिनना सिखाएगी

    कि युवावस्था ही मिटाएगी हर तरीक़े की विषमता को

    साथ मत दो मेरा, साथ देने की क़ीमत चुकाते-चुकाते ख़र्च हो चला मैं ख़ुद

    और ख़र्च हो चला है मेरी जेब का आख़िरी एक सिक्का भी

    रीढ़ की ख़राब हड्डियाँ जीवन की पल्लेदारी की गवाह हैं

    सरकारी अस्पतालों के जनरल वार्ड के बिस्तर मेरी स्मृतियों के स्रोत होते जा रहे

    चिकित्सकों में अपने अग्रज कवियों के दर्शन करने लगा हूँ मैं

    नर्सें मुझे ओलेम्प गूज़ लगतीं, किंतु जब वे दिखतीं ऐसी

    तो मैं बिल्कुल निढाल होता

    देख पाने की क्षमता से लगभग पूरा ही वंचित

    उनसे क्या कहता, किस मुँह से कहता

    कि आगे बढ़ो, मैं तुम्हारा अनुचर मात्र उत्सर्ग करने को तत्पर हूँ

    कि तुम समानता की लड़ाई की सबसे चमकीली मशाल हो

    कि तुम दुनिया की उन सारी स्त्रियों की तरफ़ से हो

    जिन्हें यह पता भी नहीं कि उनकी तरफ़ से भी कोई है कहीं

    जिन्हें यह तक नहीं पता कि लड़ाई क्या है और है कौन भला किसकी तरफ़!

    मैं अपने घर के चूल्हे की आख़िरी रोटी तुम्हारे लिए लाऊँगा मेरी गुरु

    तुम लड़ो कि ये लड़ाई दुनिया को बहुत ख़ूबसूरत बनाने के लिए है

    नदियों और झरनों को बचाने के लिए है

    तुम लड़ो कि ये लड़ाई किसी बड़ी लड़ाई का ट्रेलर है महज़

    तुम लड़ो कि ये किसी सास-बहू या नंद-भौजाई की लड़ाई नहीं है

    तुम लड़ो कि ये लड़ाई ओडव या षाडव जाति के लिए नहीं

    बल्कि राग की संपूर्ण जाति के लिए है...

    तुम लड़ो कि यह लड़ाई हर तरीक़े के बौनेपन के ख़िलाफ़ है

    लंबाई, ऊँचाई और विशालता के बौनेपन के ख़िलाफ़।

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रांजल धर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए