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बटार

batar

अनिल कार्की

 

एक

आलवेदर सड़कों से दूर
हॉटमिक्स-सी चिकनी सड़कों की
त्वचा से होड़ लगाता
खुरदुरे हथेली वाला बटार1राहगीर आदमी जो किसी यात्रा में सबसे आगे चल रहा हो।
धरती के उन रास्तों में
मौजूद है अब भी
जो रास्ते जाते हैं
गाँव की तरफ़
गाँव की तरफ़ जाना
जाने जैसा है
ख़ुद के भीतर

दो

बहुत आसान नहीं है
होना बटार
रास्तों की नाड़ी को पहचान पाना
इंगला, पिंगला, सुषुम्ना की तरह
बटार होना कबीर होना है
धरती के सीने में रचे गए
आड़े तिरछे अलग-अलग लछ्याल2निशान
अलग-अलग पगडंडी में
सबसे सही एक पगिया ढूँढ़ पाना
ख़ुद के दुपाँव के बीच से गुज़रती
भूमध्य रेखा ढूँढ़ने जैसा है

तीन

बटार होना
दरअस्ल, छोटी बात है
छोटी बात बहुत छोटी
और बहुत छोटी
उससे भी छोटी
एकदम सी छोटी बात है
पदारथ के सबसे छोटे कण
परमाणु की तरह
बहुत छोटा होना
विराटता को जन्म देती लघुता है

सुनो!
मैं बहुत छोटा हूँ
तुम्हारी सबसे छोटी-सी इच्छा की तरह
अब तुम कहोगी
सबसे छोटी इच्छा का पूरा होना
सबसे बड़ी तृप्ति है
बातों की पगडंडी पर
घूमता रहेगा अनंत काल तक
मन का बटार।

स्रोत :
  • रचनाकार : अनिल कार्की
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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