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बलिदान

balidan

जुमई खाँ 'आजाद'

और अधिकजुमई खाँ 'आजाद'

    खुनवा के बुनवा से फूली फुलवरिया, तनी सिचाइल्या लालना।

    गमकै केशर कै कियरिया, तनी सिंचाइल्या लालना॥

    अनगिन गोद ललन बिन सुनी, अनगिन नै बलिदनवाँ।

    अनगिन बीर झूलिगै फाँसी, तब लहरा मधुबनवा॥

    तनी भराइल्या लालना, गंगा जमुना जल गगरिया,

    तनी भराइल्या लालना, गमकै केशर कै कियरिया॥

    बिरवा-बिरवा फूल झरत बा, मुरझुरात बा तनवा।

    चला प्रेम से बगिया सींची, गाड़ वतन कै गनवा॥

    तनी मिलाइल्या लालना, बाजै एक्कै सुर बसुरिया,

    तनी मिलाइ ल्या लालना, गमकै केशर के कियरिया॥

    बगिया बीच अनेकन बिरवा, मुल एक्कै हरियाली।

    एक महक गलियन मां गूजै एक वतन कै माली।

    तनी चुनाइल्या लालना, एकै फुलवा कै डेलरिया,

    तनी चुनोइ ल्या लालना, गमकै केशर कै कियरिया॥

    इहै फूल रितुराज बोलावै इहै फूल मधुमसवा।

    इहै फूल बेदिया पै चढ़िके लिखै अमर इतिहसवा।

    तनी गुथाइल्या लालना, टूटै मलवा कै लरिया,

    तनी मिलाइ ल्या लालना, गमकै केशर कै कियरिया॥

    कुल बिरवन कै बाढ़ि मारिगै बिना सुघर देखवड्या।

    खर-पतवार चमन पै हावी बाटै के निरवइया।

    तनी उठाइल्या लालना, फिर से कँन्धवा पै कुदरिया,

    तनी मिलाइ ल्या लालना, गमकै केशर कै कियरिया॥

    स्रोत :
    • रचनाकार : जुमई खाँ 'आजाद'
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए शैलेंद्र कुमार शुक्ल द्वारा चयनित

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