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औरत

aurat

अनुवाद : शंकर लाल पुरोहित

लड़की का भला दुःख कैसा,

जिसके घर जन्मी, बड़ी हुई, राह चली, जीती रही

मरेगी किसके घर उसे भय कैसा?

उसे लेकर इतनी खोज-बीन कैसी?

लड़की का भला दुःख कैसा?

उसे लेकर हलचल मची कैसी!!

औरत जात की

इतनी आकांक्षा-आशा कैसी?

अमुक की बेटी, फलाँ की स्त्री,

उसकी माँ बनी है, बनी रहे,

अलग नाम खोजने की ज़रूरत क्या?

जन्म लिया, यही काफ़ी है।

इतने भाव-अभाव की बात कैसी?

औरत बनकर हृदय कँपाएगी—

पूजा लेगी, वर देगी, सब देगी।

वर पाने की आशा फिर कैसी?

साधारण कामना-वासना?

यह कैसी बात?

देवी बनी रहे

सदा तितिक्षा में उद्भाषित—

खड्ग खप्पर लिए असुर निधन में भी

स्थिर उद्भावित रहे चेहरा।

—क्रोध जैसा क्या?

अभिशाप कैसा?

ये घर तेरा नहीं रे माणिक

ये घर तेरा नहीं कि

जो चाहोगी पाओगी,

इच्छा की स्पर्धा में उद्भाषित होगी।

तू किसी वन की नहीं

बगिया की है

बोगनविला या कामिनी कुछ हैं

जिसकी फुनगी जैसी छेद है

वैसी ही बनी रह,

मन मरज़ी डाल फैलाए

यहाँ चलेगा नहीं रे माणिक!

जैसा कहा जाए खिलना—

लाल खिलना या श्वेत या नारंगी

यह चिन्ता तुझे करने देगा कौन ?

जीने दिया जा रहा

वह क्या यथेष्ट नहीं रे माणिक?

—फिर तू अपनी ख़ुशी में

देखना सपने, कैसी स्पर्धा!

मामूली औरत!

मसल दें तो मिट जाएगी!!

स्रोत :
  • पुस्तक : बीसवीं सदी की ओड़िया कविता-यात्रा (पृष्ठ 233)
  • संपादक : शंकरलाल पुरोहित
  • रचनाकार : गिरिबाला महांति
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 2009
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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