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आत्महत्याओं के देश

atmhatyaon ke desh

सौरभ सिंह क्रांतिकारी

सौरभ सिंह क्रांतिकारी

आत्महत्याओं के देश

सौरभ सिंह क्रांतिकारी

और अधिकसौरभ सिंह क्रांतिकारी

    मैं कुछ दिनों आत्महत्याओं के देश

    घूमकर आया हूँ

    बहुत ही कुरूप है

    वहाँ सच ने आत्महत्या कर ली

    क्योंकि सच को यक़ीन दिलाया गया

    झूठ ताक़तवर होता है

    शालीन और मनमोहक भी

    सब सुनना चाहते हैं झूठ,

    झूठ यशस्वी है

    दुर्गंध से भरा है वो देश

    ईमानदारी ने भी कर ली है वहाँ आत्महत्या,

    क्योंकि ईमानदारी पर दबाव था

    लालच का, द्वेष का और पाखंडी वेश का

    वो देश मूर्खों का टापू हो चुका है

    समझदारी भी ज़हर पीकर सो चुकी है

    वहाँ के लोगों का तर्क है

    कि रात होने पर सूरज मर जाता है

    इसलिए वहाँ अब लोग मर रहे हैं

    एकदम शांति से सबने गीता पढ़ ली है

    सब जान चुके हैं कि

    केवल शरीर मरता है आत्मा नहीं

    इसलिए वो अपनी झूठी, बेईमान और मक्कार

    आत्माओं के साथ फिर से एक सच्चा, ईमानदार

    और पवित्र शरीर खोजने की यात्रा पर निकल पड़े हैं

    स्रोत :
    • पुस्तक : सोया हुआ शहर (पृष्ठ 27)
    • रचनाकार : सौरभ सिंह क्रांतिकारी
    • प्रकाशन : अधिकरण प्रकाशन
    • संस्करण : 2023

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