सात आसमानों के पार आठवें आसमान पर
जहाँ आकर चाँद रुक जाता है
सूरज की रौशनी पर टूटे सपनों की किरचें चमकती हैं
दिन और रात की परिभाषाएँ रद्द हो जाती हैं
कि आत्महत्या
ऊपर उठती दुनिया की सबसे आख़री मंजिल है
प्यार के भी बाद किया जाने वाला सबसे तिलिस्मी काम।
कोई है
जिसके पास काफ़ी कुछ है
सुबह है उम्मीद से जगमगाई हुई
शाम है चाँदनी की परत लिए हुए
वह ख़ुद है मैं से हम होकर नूर बरसाता ख़ल्क़ पर
और फिर,
जब उसकी उम्मीद से जगर मगर सुबह को खींच कर
उसके शाम के चाँदनी के परत को उतार कर
उसके मैं से हम हुए अस्तित्व को निथार कर
कोई और
अपनी सुबह शाम और ख़ुद को रचता है
तो जानिए
प्यार के भी बाद किया जाने वाला सबसे तिलिस्मी काम है
आत्महत्या
मेरे दोस्त बेशक आपने प्यार किया होगा
और प्यार के गहनतम क्षण के बाद आप मृतप्राय हुए होंगे
लगा होगा
यही तो जीवन है,
कि जीवन और मृत्यु के इतने क़रीब जाकर भी आप मरे नहीं
क्योंकि मरना सबके बस की बात नहीं
यह गले में सुई चुभा कर थूक के साथ
क्रोध घोंटने की तमीज़ है
यह प्यार से भी आगे की चीज़ है
मुझे कुछ आत्महंताओं का पता चाहिए
मैं उनसे मिलना चाहता हूँ
शायद उन्हें जोड़कर कोई कविता बनाऊँ
या फिर
आत्महत्या की भूमिका
नहीं-नहीं
मैं उनके मरने के ठीक पहले की बात जानना चाहता हूँ
यह भी जानना है कि इरादों की यह पेंग
कहाँ से भरी थी तुमने
क्या किसी बदबूदार सफ़ेदपोश की कार का धुँआ
तुम्हारे सपनों पर पेशाब कर गया था
और तुम कुछ नहीं कर सकते थे
क्या तुम्हें ऐसा लग रहा था कि
गाँव के खेतों में खुल रही फ़ैक्टरी का काला पानी
तुम्हारे बेटे की आँतें निचोड़ लेगा
और तुम कुछ नहीं कर सकते
या ऐसा कि तुम्हारी बंद हुई फ़ैलोशिप
किसी सूट में सोने के तारों से नाम लिखवाने की
बजबजाती सोच है
और तुम कुछ नहीं कर सकते?
मैं कुछ आत्महंताओं से मिलना चाहता हूँ
आप मेरे भीतर का शोर दबा दें
आप मेरी सारी कविताएँ फूँक दें
या मुझसे स्तुतिगान ही लिखवा लें
मगर मुझे उन आत्महंताओ का पता दे दें
जिनके पास प्यार करने का भी विकल्प था
और उन्होंने नहीं चुना
वह तो चढ़ गए उस खरी मंज़िल
जहाँ चाँद रुक जाता है,
सूरज की रौशनी पर टूटे सपनों की किरचें चमकती हैं
दिन और रात की परिभाषाएँ रद्द हो जाती हैं
और रची जाती है
प्यार के भी बाद के तिलिस्म की भूमिका
सात आसमानों के पार आठवें आसमान पर…
- रचनाकार : शाश्वत
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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