आठवीं क्लास की लडकी का प्रेम-पत्र
athvin class ki laDki ka prem patr
राकेश कुमार मिश्र
Rakesh Kumar Mishra
आठवीं क्लास की लडकी का प्रेम-पत्र
athvin class ki laDki ka prem patr
Rakesh Kumar Mishra
राकेश कुमार मिश्र
और अधिकराकेश कुमार मिश्र
स्कूल रोज़ आया करो
अच्छा लगता है
उस दिन मास्टर साहब के सटका का
असर नहीं होता
गणित आसान लगने लगती है
गीत याद आते है
ढेर सारे
ख़ास तौर से एक गाना—कुछ-कुछ होता है...
सजने का मन करता है
लेकिन ईआ धमकाती है
स्कूल सज-धज के गई तो माँग नोच लूँगी
बकरी चराने का मन नहीं करता
कोई देख न ले
इसलिए महुआ के गाछ के पीछे छिप जाती हूँ।
इन दिनों कल का पानी
पहले से अधिक मीठा लगने लगा है
आम के गाछ पे चढ़
ख़ूब चिल्लाने का मन करता है
मन करता है कि बस तुम्हें ही देखूँ
मन करता है कि तुम्हें छू लूँ
मन करता है कि साड़ी पहनूँ
मन करता है कि देर तक नहाऊँ
मन करता है कि एक रात तुमसे मिलूँ
और फिर दिन कभी न हो
मन करता है कि वहीं गाना बार-बार सुनूँ
मन में बहुत कुछ होता है
लेकिन डर भी बहुत लगता है...
- रचनाकार : राकेश कुमार मिश्र
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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