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अमलदारी

amaldari

आदर्श भूषण

आदर्श भूषण

अमलदारी

आदर्श भूषण

इससे पहले कि

अक्षुण्णताओं के रेखाचित्र ढोते

अभिलेखागारों की दस्तावेज़ों में

उलटफेर कर दी जाए

उन सारी जगहों की

शिनाख़्त होनी चाहिए

जहाँ बैठकर

एक कुशल और समृद्ध समाज की

कल्पनाओं के स्वाँग रचे गए

पीठासीन पदाधिकारियों ने

गाल बजाए और

प्रलोभनों के चुंबकीय आकर्षण में

काठ के बगुलों ने

चोंच के बल खड़े होकर

दोनों पंजों से तालियाँ पीटीं

उन जगहों को हिंसक बताया जाना चाहिए

कनबहरे कार्यालयी दीमकों ने

जिन जगहों पर दुर्भिक्षों की

याचना-पत्रिकाएँ चाट खाईं

जो अजीर्ण रहा उनको

उनको चबाकर आए दिन

तेज़ाब की तरह

असहायों की गिरी हुई देह पर थूकते रहे

उन जगहों पर अजायबघर बनाए जाने चाहिए

अदायगियों के अदद पर

जिन जगहों पर पगड़ियाँ गिरीं और

उनके गिरने से वहाँ की

ज़मीन थोड़ी धँस गई

जहाँ प्रामित्यों का समतल आज भी

पगड़ियों के छाप नहीं मिटा पाया

और यह जल्द से जल्द होना चाहिए

क्योंकि पगड़ियों का द्रव्यमान

ईश्वर की मूर्तियों से ज़्यादा होता है

इतिहास पगड़ियों की जगह

सिर पर पनही रखकर

ड्योढ़ियों के सामने से

गुज़रने के बारे में नहीं बताता।

स्रोत :
  • रचनाकार : आदर्श भूषण
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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