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आकाँक्षा

akanksha

पवन चौहान

पवन चौहान

आकाँक्षा

पवन चौहान

और अधिकपवन चौहान

    सूरज को छूने की कोशिश

    हर बार असफल रही

    उसका तेज़ मुझे अँधा बना

    भटका देता है रास्ता

    कल्पना मात्र भी उसकी तपन का

    अहसास करा देती है

    सागर मापने की कोशिश भी

    नाकाम रही

    हर बार लहरें उठा

    पटक देती हैं भंवर में

    क्रोधावश पर्वत से टकराया भी

    पर चोटिल हर बार मैं ही हुआ

    वह शान से खड़ा

    देखता रहा मेरी नादानी

    अंत खोजने निकला आकाश में भी

    पर ख़ुद ही उसमें खो गया

    मैं भी सूरज-सी चमक

    सागर-सा हौंसला

    पर्वत-सी दृढ़ता

    और आकाश-सा अनंत

    पाना चाहता हूँ।

    और आकाश-सा अनंत

    पाना चाहता हूँ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : पवन चौहान
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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