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अजाना पुष्प-पौधा

ajana pushp paudha

लमाबम कमल सिंह

लमाबम कमल सिंह

अजाना पुष्प-पौधा

लमाबम कमल सिंह

और अधिकलमाबम कमल सिंह

    शोभित उद्यान मध्य भारत के

    ख्यात बकुल का

    सुंदर पौधा एक

    रोपा था छाया की आकांक्षा से

    ऋतु आई, पर हुआ अंकुरित,

    आया वसंत, पल्लवित फिर भी,

    लगे मानने परजीवी

    पुष्प-रूप-अनभिज्ञ परदेसी।

    पछवा की मृदु गति से,

    शीतल-सुगन्धित मलय-पवन से

    अनजान पुष्प-पौधा

    हुआ मुकुलित सुकोमल कलियों में!

    हुआ होता प्रफुल्ल वसंत-प्रभात में,

    ऊष्णता के भय से तीक्ष्ण धूप की

    फूला समय पर!

    देखता होगा राह समय की,

    पुष्प विद्याविद परदेसी हे

    विचारते अभी भी परजीवी इसे!

    स्रोत :
    • पुस्तक : कमल : संपूर्ण रचनाएँ (पृष्ठ 53)
    • संपादक : देवराज
    • रचनाकार : कमल
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
    • संस्करण : 2006

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