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अच्छे बच्चे

achchhe bachche

रविंदर

रविंदर

अच्छे बच्चे

रविंदर

और अधिकरविंदर

    अच्छे बच्चे, फूल नहीं तोड़ते

    उन्हें दुर से सूँघते हैं, माँ-बाप की आज्ञा पाकर

    समय पर जागते, सोते, नहीं आने देते

    बुरे विचार सपनों में भी

    नहीं देखते, अच्छे बच्चे किसी के घर जाकर

    नई चीज़ ललचाई नज़रों से

    नहीं माँगते कुछ खाने को

    इनकार कर देते, इच्छा होने पर भी

    हंगामा नहीं करते

    बेग़ानों के और अपने घर भी सजे-सजाए कमरों में

    अच्छे बच्चे जवान होकर

    किसी को दुख नहीं देते

    किसी की आँख में नहीं चुभते

    किसी के मन में बसते

    वे अपनी उम्र का स्वप्न भी सपने में नहीं लेते

    वे देखते हैं आसपास घटित होता

    उल्टा-सीधा,

    चुपचाप

    नहीं चाहते बदलना

    प्रतिकूल वातावरण

    नहीं आते तनकर किसी के सामने

    अच्छे बच्चे तो बस पढ़ते, सुनते, देखते, सब कुछ

    मुँह से कुछ नहीं कहते, उम्र-भर

    सभी को ख़ुश करने के लिए

    मार्गदर्शन देते

    अच्छे बच्चे, कुछ नहीं माँगते

    अपने लिए कुछ नहीं

    सोचते अपने लिए

    सब को भले लगते

    अच्छे बच्चे हैं

    इसीलिए।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य (पृष्ठ 505)
    • संपादक : सुतिंदर सिंह नूर
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक फूलचंद मानव, योगेश्वर कौर
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2014

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