आज और आज से पहले के कवि
aaj aur aaj se pahle ke kawi
पहले के कवि मृत्यु और जीवन बाँटते थे—
प्रजा को, राजा को, देवता को
मृत्यु के बाद भी स्वर्ग और नर्क के प्रकार
स्वर्ग के बाद : नई योनि, जाति और प्रारब्ध
आज का कवि बस मृत्यु बाँटता है
वह भी केवल कवियों को
जीवन है ही नहीं उसके पास
उसकी साँसें टकराती नहीं किसी की साँसों से
पास कोई हो तब न आए उसके पसीने से उबकाई
ख़ून उसका मरता है अपनी ही मौत
भरे शुक्राशयों के लिए नहीं ख़ाली
दुनिया की बंजर से भी बंजर ज़मीन।
- रचनाकार : रवि भूषण पाठक
- प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका
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