बहुत कम लगती
एक चौड़ी-सी दरार से
हड़बड़ी में आता चूहा
सधे विनम्र क़दमों और चालाकी से
खिड़की से उतरती बिल्ली
अनजाने ही अंदर की यात्रा से अनभिज्ञ
रोशनदान से आ गई चिड़िया
कुछ नहीं कर पाने की तरह आती निष्क्रियता
करने न करने के बीच ठिठकी अन्यमनस्कता
हारकर अवसाद को छुपाने का अभिनय करती उदासी
सत्ता के पक्ष में अख़बार की बेहया दलीलें
कमज़ोर बता दिए गए निरीह मनुष्यों की
अलक्षित रह जाती आहें
बचपन की मैत्री के विरुद्ध
अभिजात्य के दारुण पलों को सहती मित्राकांक्षा
अयोग्य संदेहास्पद और त्याज्य बना देने पर
उतारू स्वार्थी चपलताएँ
गिड़गिड़ाने के विरुद्ध
अपने को ज़ाहिर करने को उद्यत विश्वास
बहुत-सा खोने के बावजूद
और भी खोते हुए
निरभिमानी बना रहता मन
संसार अनसुना करता है जिन्हें
उपस्थिति के व्याकरण से अपदस्थ
होने की ज्यामिति से ख़ारिज
संभावना की पतंग को
काटने की हिंस्र चेष्टा-सा
सब एक बार
और निश्चित ही
बार-बार से विलग एक बार
अपनी आहट दर्ज कराते हैं
नहीं सुने जाने की आशंका के विरुद्ध।
- रचनाकार : मिथलेश शरण चौबे
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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