Font by Mehr Nastaliq Web

आधी रात को कविता

aadhi raat ko kavita

तजेंद्र सिंह लूथरा

तजेंद्र सिंह लूथरा

आधी रात को कविता

तजेंद्र सिंह लूथरा

और अधिकतजेंद्र सिंह लूथरा

    मैं सपने में था

    मुझे अधमरा कर

    मेरी मुश्कें कसी जा रही थी।

    एक संकरे गलियारे में भरी थी

    गिद्ध नज़रें, कुटिल मुस्कानें, और विषभरी साँसें

    वहीं गड़े थे चारों और

    ख़ूँख़ार ख़ंजर, तेज़ तलवारें

    और नुकीले नेज़े

    मुझे वहाँ यूँ बार-बार

    धकेला जा रहा था

    कि मैं अपने-आप ही पंगु जाऊँ

    और किसी पर दोष भी ना आए

    एक क्रूर सोच काट रही थी

    मेरे हाथ, मेरे पाँव

    लेकिन बचे-खुचे होश से

    मैंने सपने में भी

    बचा लिया था सिर

    और सिर ने ही कहा

    अब सिर उठाओ और जाग जाओ

    नहीं तो मारे जाओगे सदा के लिए।

    लेकिन कहीं जागते ही

    गर्म हवा छेद ना डाले मेरा बदन

    निर्दयी नज़रें नग्न ना कर दें मुझे सरे-आम

    मैं फिर डरने लगा

    और सोते-सोते ही तिल-तिल मरने लगा।

    फिर अचानक दृश्य बदल गया

    दो सलाख़ें लगी मेरी आँखे फोड़ने

    छीनने लगी मेरे सारे सपने

    मैंने साहस कर सिर उठाया

    जब लड़ना ही है, तो क्यूँ ना जागूँ और सचमुच लड़ूँ

    जब मरना ही है, तो अपनी ही आँखों के सामने

    सच-सच मरूँ।

    ये सोचकर

    मैं आधी रात को लेकर सिर हथेली पे

    सपने से बाहर निकल आया

    खुली आँखो से, मैं साज़िशों के साथ गाने लगा

    सब सुनते, समझते, मैं नफ़रतों के संग नाचने लगा

    थोड़ा उदास होकर अपने मासूम सपनो के मारे जाने का उत्सव मनाने लगा

    धीरे-धीरे, मैं अपनी ही आँखो के सामने टुकड़े-टुकड़े काटा जाने लगा

    लेकिन मैं सिर उठाकर आधी रात को कविता लिखने लगा।

    स्रोत :
    • रचनाकार : तजेंद्र सिंह लूथरा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए