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आदत

aadat

स्मिता सिन्हा

और अधिकस्मिता सिन्हा

    आकाश के आमंत्रण पर

    अब भी घिर आते हैं

    काले-काले बादल

    और बरसती हैं बूँदें

    उन नन्हीं बूँदों को

    अपनी पलकों पर सहेजे

    मैं अक्सर बैठता हूँ

    उसी सुनी मुँडेर पर

    जहाँ जाने कितने आकाश

    उतर आते थे उन दिनों

    हमारी आँखों में

    तुम्हें याद है

    उसद एक उड़ते कबूतर के

    पंख टूटने पर

    कितनी आहत हुई थीं तुम

    रोती रही बेहिसाब

    और मैं सोखता रहा

    तुम्हारे उन आँसुओं को

    अपनी हथेलियों में

    ये हथेलियाँ अब भी नम हैं

    सोंधी-सी महक है इसमें तुम्हारी

    मैं अब अक्सर अपने चेहरे को

    इन हथेलियों में छुपा लेता हूँ

    इन हथेलियों को आदत थी

    तुम्हारी उँगलियों की

    कितने सलीक़े से उलझती थीं

    ये तुम्हारी उँगलियों से

    कभी नहीं छूटने के लिए

    ये आदतें भी कमाल होती हैं

    हमें थी एक दूसरे की आदत

    एक दूसरे के साथ हँसने की आदत

    हँसते-हँसते रो देने की आदत

    हम कभी नहीं पूछते थे

    एक दूसरे से यूँ रोने की वजह

    शायद हमें शुरू से ही अंत का पता था

    पता था कहाँ और किस मोड़ पर

    रुकना है हमें

    होना है अलग

    फिर कभी नहीं मिलने के लिए

    उन रास्तों पर अब कोई नहीं जाता

    पर मैं अब भी निकल आता हूँ अक्सर

    वहीं उन्हें रास्तों पर

    उसी मोड़ तक

    अब अक्सर ही लिखता हूँ मैं

    प्रेम कविताएँ

    लिखता हूँ एक अनजान शहर

    कुछ अनजाने रास्ते

    और बेतकल्लुफ़ी में गुज़रते

    दो अजनबी

    कुछ अनजानी तारीख़ें

    और इन तारीख़ों में सिमटी

    तमाम जानी-पहचानी यादें

    मैं कभी नहीं लिखता

    उदास वक़्त के उदास शब्द

    उदास-सी मुँडेर

    उदास-सी हँसी

    उदास आँखें

    मैं चाहता हूँ

    कि मुझे आदत हो

    ख़ुश रहने की

    मुझे आदत हो

    ख़ुद जीने की

    मैं जब मुक्त होना चाहता हूँ

    इस प्रारब्ध से

    जहाँ सब कुछ होते हुए भी

    अक्सर प्रेम ही चूक जाता है

    मेरे जीवन में...

    स्रोत :
    • रचनाकार : स्मिता सिन्हा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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