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26 जनवरी 2017

26 january 2017

विजया सिंह

विजया सिंह

26 जनवरी 2017

विजया सिंह

और अधिकविजया सिंह

     

    एक

    गणतंत्र ने बारिश को माफ़ कर दिया 
    माफ़ कर दिया घने काले मेघों को, सर्द हवाओं को 
    हालाँकि राजधानी के पेड़ : चुक्का, पनिया, कंजू, चमरोड़ 
    शोर करते हवाओं को राजपथ की ओर धकेल रहे हैं 
    पर उसके सिपाही क़दम से क़दम मिलाते बढ़ते आ रहे हैं 
    टैंकों पर बैठे जाँबाज़ सलामी लेते बारिश पी रहे हैं 
    बूटों की क़दमताल, जहाज़ों की उड़ानें, घोड़ों की टापें
    राज्यों की झाँकियाँ, बच्चों के नाच, जाँबाज़ों के करतब 
    हज़ारों, हज़ारों बंदूक़ें सलामी देती हुईं 
    राष्ट्र के कोने-कोने पहुँचेंगी 
    हज़ारों जो परेड देखने आए हैं,
    और वे जो उसे टी.वी. पर देख रहे हैं 
    रोमांचित होते बूझ रहे हैं  
    यह ही राष्ट्र है
    फिरन, रोगनजोश, यखनी 
    यह कुछ ख़ास मायने नहीं रखते 
    और न ही चिकनकारी, दस्तकारी और गोंड चित्र 
    राष्ट्र की नज़र तीक्ष्ण तो है पर दूरगामी नहीं 
    अभी भी मणिपुर में दुनिया का सबसे पुराना नाट्य समारोह 
    AFSPA के निशाने से बचा हुआ है  
    और न्यायालय के हुकुम के बावजूद 
    यहाँ-वहाँ किसी छोटी जगह एकाध तिरंगा भीग गया और खुल नहीं पाया  

    दो

    धरती को थामे शेषनाग
    एक विशाल केकड़े की जकड़ में आ चुका है 
    एक-एक कर वो अब तक 56 सिर गँवा चुका है
    स्वयं विष्णु उसकी सहायता नहीं कर पा रहे 
    आधार के अभाव में सुदर्शन चक्र का पासवर्ड लॉक है   
    और उनकी तर्जनी पर बेसुध पड़ा है 
    इसे कलयुग का प्रकोप जान वह चौंक कर उठ खड़े हुए    
    तो ब्रह्मा लड़खड़ा कर उनकी नाभि के कमल से गिर पड़े 
    शिव की योगनिद्रा चंडीगढ़ के कामदेवों ने भंग कर दी 
    उनका तीसरा नेत्र फ़िलहाल प्रशासन ने ब्लॉक किया हुआ है   
    वे डमरू उठा त्रिलोक की खोज-ख़बर को जाना चाह रहे हैं 
    पर नंदी नदारद हैं 
    उसे ढूँढ़ते हुए वे जंबूद्वीप में गौ रक्षकों से बाल-बाल बचे
    उधर पहलू ख़ाँ को गाय की पूँछ पकड़ा वैतरणी पहुँचा दिया गया है
    इस बीच ख़बर यह भी है कि सावरकर कश्मीरी गेट पर टोल लेने खड़े हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : विजया सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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