न महलों की बुलंदी से न लफ़्ज़ों के नगीने से
na mahlon ki bulandi se na lafzon ke nagine se
अदम गोंडवी
Adam Gondvi
न महलों की बुलंदी से न लफ़्ज़ों के नगीने से
na mahlon ki bulandi se na lafzon ke nagine se
Adam Gondvi
अदम गोंडवी
और अधिकअदम गोंडवी
तमद्दुन में निखार आता है 'घीसू' के पसीने से
अब चर्चा में रोटी है मुहब्बत हाशिए पर है
उतर आई ग़ज़ल इस दौर में कोठी के ज़ीने से
अदब का आईना उन तंग गलियों से गुज़रता है
जहाँ बचपन सिसकता है लिपटकर माँ के सीने से
कि बहरे-बेकराँ1 में ताक़यामत का सफ़र ठहरा
जिसे साहिल की हसरत हो उतर जाए सफ़ीने से
अदीबों की नई पीढ़ी से ये मेरी गुज़ारिश है
सँजोकर रक्खें धूमिल2 की विरासत को क़रीने से
- पुस्तक : धरती की सतह पर (पृष्ठ 64)
- संपादक : ओम निश्चल
- रचनाकार : अदम गोंडवी
- प्रकाशन : अनुज प्रकाशन
- संस्करण : 2023
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