क्या करामात है धरती पे जो फैला पानी
kya karamat hai dharti pe jo phaila pani
संजय चतुर्वेदी
Sanjay Chaturvedi
क्या करामात है धरती पे जो फैला पानी
kya karamat hai dharti pe jo phaila pani
Sanjay Chaturvedi
संजय चतुर्वेदी
और अधिकसंजय चतुर्वेदी
क्या करामात है धरती पे जो फैला पानी
बावला-सा कभी दरिया कभी सहरा पानी
उसकी आवाज़ ख़ला में है दुआओं की तरह
चाँद तारों में जो पिन्हाँ है ज़रा-सा पानी
ज़ुल्म शाहकार-सा लगता है कई बार हमें
सूखे पत्तों के बड़े पास से गुज़रा पानी
कोई क्यों ख़ून बहाए हमारा ख़ून है वो
उन दिमाग़ों को भी मिलता रहे सादा पानी
बाज़ औक़ात कोई राह चली आती है
पहाड़ काट के आया है उबलता पानी
वही एजाज़ वही रंग है सय्यारों का
है दरख़्शाँ मेरी आँखों में ये किसका पानी
- रचनाकार : संजय चतुर्वेदी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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