अचेतन मन में प्रज्ञा कल्पना की लौ जलाती है
achetan man mein pragya kalpana ki lau jalati hai
अदम गोंडवी
Adam Gondvi
अचेतन मन में प्रज्ञा कल्पना की लौ जलाती है
achetan man mein pragya kalpana ki lau jalati hai
Adam Gondvi
अदम गोंडवी
और अधिकअदम गोंडवी
अचेतन मन में प्रज्ञा कल्पना की लौ जलाती है
सहज अनुभूति के स्तर में कविता जन्म पाती है
उठाता पाँव है विज्ञान संशय के अँधेरे में
अचानक उस अँधेरे में ही बिजली कौंध जाती है
अदम इस सभ्यता के पास देने को नहीं कुछ अब
जो ये संतप्त मानव के लिए पेशाब लाती है
- रचनाकार : अदम गोंडवी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए संतोष अर्श द्वारा चयनित
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