चम्पू-चरित्तर-चंद्रिका नित हरण भवभय दारुणम्
champu charittar chandrika nit harn bhawbhay darunam
संजय चतुर्वेदी
Sanjay Chaturvedi
चम्पू-चरित्तर-चंद्रिका नित हरण भवभय दारुणम्
champu charittar chandrika nit harn bhawbhay darunam
Sanjay Chaturvedi
संजय चतुर्वेदी
और अधिकसंजय चतुर्वेदी
चम्पू चिलम चमेलियाँ चम्पू बहारियाँ
चम्पू शबों का मामला चम्पू गुज़ारियाँ
चम्पू की बाटली में मुकम्मल उरूज-ए-फ़न
चम्पू के इल्किलाब की चम्पू अटारियाँ
सारे जहाँ में एक समझदार है चम्पू
चम्पू ने चाशनी में जलेबी बघारियाँ
हर शै पे थूकता है पटेबाज़ है चम्पू
चम्पू चने के खेत में हरकत पसारियाँ
चम्पू बड़े मियाँ का बड़ा ख़ास चम्पुआ
आख़िर इसी हुनर में हैं ईमानदारियाँ
चम्पू बड़ा ज़हीन है चम्पू एलीट है
ख़ुशबू बिखेरती हैं यहां सर्वहारियाँ
चम्पू वज़ीफ़ाख़्वार है इस इंतज़ाम का
पिकनिक में शाहज़ादा करे क्रांतिकारियाँ
सत्ता है पाएदार वही जिसमें पेश पेश
चम्पूकुमार हैं कहीं चम्पूकुमारियाँ
शायद पस-ए-ईमान कलाकार है चम्पू
जन्नत न गई रिंद रहीं ये दुधारियाँ
मक्तब है किस फ़रेब का ऐवान-ए-चम्पुआ
हर्रा लगै न फिटकिरी लंबी उडारियाँ
चम्पू ज़हीन दीखे फ़क़त चम्पुओं के बीच
चम्पू जबी तो दाबे है गुलशन में क्यारियाँ
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाया है चम्पुआ
सदियाँ चली गईं न गईं तीसमारियाँ
चम्पू सियाहपोश है चम्पू धुला हुआ
चम्पू की असलियत की रही इंतज़ारियाँ
सत्ता का असल खेल है अवलेह चम्पकम
बिगड़ी जो बात हौले से चम्पू सँवारियाँ
चम्पू किसी की गोद में चम्पू किसी के सर
घबराए है लंगूर अजब धमधुसारियाँ
चम्पू लफंगराज का बेताज सरगना
चम्पू ने सारी क़ौम की इज़्ज़त उघारियाँ
चम्पू पिरेस कल्ब का मुमताज मेम्बर
चम्पू ख़ुशी के रोज़ करे नौहाख़्वारियाँ
जन्नत की दावेदार है तंज़ीम-ए-चम्पुआ
क़ासिर हुईं सच बोलने से ग़मगुसारियाँ
दोज़ख़ के सारे ऐब इजारा बहिश्त पे
चम्पू करे ईमान-शिकन गोटमारियाँ
सारा हुनर रुसूख़-ओ-करामात-ए-चम्पुआ
चम्पू है इल्म-ओ-ऐब की सरमाएदारियाँ
गंग-ओ-जमन लपेट के चम्पू जगर-मगर
पंजाब सिंध दिल्लियाँ यूपी बिहारियाँ
सारी वज़ीफ़ाख़्वार हैं चम्पू की चेलियाँ
चम्पू चमन अकादमी चम्पू डकारियाँ
चम्पू मरे ईनाम को फिर कर दे वापसी
चम्पू का खेल खेल धुआँधार पारियाँ
हिंदोस्ताँ जहाज़ तेरा है हरामख़ोर
काहे चला रिया है तू पैंदे पे आरियाँ
तुझको है जामिआ-ए-ख़ुराफ़ात की क़सम
अपनी ही चाँद पे कबू जूते न मारियाँ
महबूब लब-ए-बाम पे बैठा है जंग-जू
किरदार में अपने रहीं पक्की छिनारियाँ
चम्पू को लगी चोट तो चम्पू पुकारियाँ
चम्पू को नागवार हैं बातें हमारियाँ
चम्पू से ले के बैर मुआ चाहता है ख़ैर
चम्पू के पानदान में चम्पू सुपारियाँ
चम्पू से बच के दूर कहाँ जाएगा बंदे
चम्पू की संविधान में परवरदिगारियाँ
सुनते हैं कि दरबार-ए-वतन में सज़ा भी है
इक रोज़ कबू आएँगी चम्पू की बारियाँ
- रचनाकार : संजय चतुर्वेदी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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