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ख़ुशबू चढ़ी नीलाम पर

khushbu chaDhi nilam par

हरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’

हरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’

ख़ुशबू चढ़ी नीलाम पर

हरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’

और अधिकहरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’

    हैं दोस्त भी अक्सर मिले

    धोखे भरा मौसम लिए

    इस हाथ में ख़ंजर लिए

    उस हाथ में मरहम लिए

    ख़ुशबू चढ़ी नीलाम पर

    अहले सुबह के नाम पर

    हम ताकते ही रह गए

    दिल की कली गमगम लिए

    था प्यास को जिसने दिया

    शर्बत मिलाकर मर्फिया

    वो ही दिखे उस मंच पर

    उपदेश में गौतम लिए

    अक्षर ढाई वक्ष पर

    नज़रें टिकीं हैं लक्ष पर

    दो बूँद ख़ुशियों की दिखीं

    दौडे़ सभी हम-हम लिए

    दिल पर चलाकर बर्छियाँ

    सोखा किए जो सिसकियाँ

    वो ही गवाहों में दिखे

    अख़बार भर मातम लिए

    जाली नक़द भुगतान पर

    वो छा गए अरमान पर

    इस ओर से पालम लिए

    उस छोड़ से दमदम लिए

    हारा हुआ संगीत है

    अब ठीकरों की जीत है

    हम तो ख़ुशी के द्वार से

    गमका फिरे हमदम लिए

    जो गीत में बोएँ ज़हर

    उनके लिए सारा शहर

    सुबहें खड़ी शबनम लिए

    शामें खड़ी पूनम लिए

    अब लोग निविदामंद हैं

    ‘घेराव’ हैं या ‘बंद’ हैं

    इस मोड़ पर सरगम लिए

    उस मोड़ पर परचम लिए

    स्रोत :
    • रचनाकार : हरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए सतीश नूतन द्वारा चयनित

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