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करतूतों जैसे ही सारे काम हो गए

kartuton jaise hi sare kaam ho gaye

नईम

नईम

करतूतों जैसे ही सारे काम हो गए

नईम

और अधिकनईम

    करतूतों जैसे ही सारे काम हो गए

    किष्किंधा में

    लगता अपने राम खो गए।

    बालि और वीरप्पन से कुछ कहा जाए,

    न्याय माँगते शबरी, शंबूकों के जाए।

    करे-धरे सब हवन-होम भी

    हत्या और हराम हो गए।

    स्वप्नों, सूझों की जड़ में ही ज्ञानी मट्ठा डाल रहे हैं,

    अपने ही हाथों अपनों पर कीचड़ लोग उछाल रहे हैं।

    जनपदीय क्षत्रप कितने ही

    आज केंद्र से वाम हो गए।

    देनदारियों की मत पूछो, डेवढ़ी बैठेंगी आवक से,

    शायद इसीलिए प्रभु पीछे पड़े हुए हैं मृगशावक के।

    वर्तमान रिस रहा तले से,

    गत, आगत बदनाम हो गए।

    स्रोत :
    • पुस्तक : लिख सकूँ तो— (पृष्ठ 12)
    • रचनाकार : नईम
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
    • संस्करण : 2003

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