मैथिली लोकगीत : बडे रे यतन हम सिया जी के पोसलीं
maithili lokgit ha baDe re yatan hum siya ji ke poslin
रोचक तथ्य
संदर्भ—सीता-विदाई।
बडे रे यतन हम सिया जी के पोसलीं
से हो रघुबंसी ने ने जाय आहे सखिया।।1।।
रानी जे रोवै रामा रोवै रनिवसवा
राजा जे रोवै दरवजवा हे सखिया।।2।।
हाथी जे रोवै रामा रोवै हथिसरवा
घोड़ा जे रोवै घोड़सरवा हे सखिया।।3।।
टोला औ परोस मिलि अओर सब रोयलैं
रोवैं नगरिया के लोग आहे सखिया।।4।।
हे सखी! बड़े यत्न से सीता का पालन पोषण किया, उसी को रघुवंशी राम अपने साथ लिए जा रहे हैं।।1।।
रानियाँ रनिवास में रो रही हैं और राजा जी दरवाज़े पर रुदन कर रहे हैं।।2।।
हे सखी! हाथी हस्तिशाला में और घोड़े अस्तबल में रो रहे हैं।।3।।
टोला और पड़ोस के सब लोग मिलकर एवं सारी मिथिलापुरी के लोग रो
रहे हैं।।4।।
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