मगही लोकगीत : रामजी के बनमा पैठोलऽ हो रामा
maghi lokgit ha ramji ke banma paitholऽ ho rama
रोचक तथ्य
संदर्भ—आयोध्यावासियों द्वारा कैकेई को उपालंभ।
रामजी के बनमा पैठोलऽ हो रामा,
कठिन तोरा जियरा।।1।।
बसिहें न अवधा नगरिया हो रामा,
जैहैं जहाँ राम के बसेरवा।।2।।
मरियो न गेलइ केकइया निरदिया,
जारे मुख कठिन बचनमा।।3।।
राम लखन बिनु सुन्ना हो रामा,
नागिन लोटऽहइ भवनमा।।4।।
अयोध्या के निवासी कहते हैं—“हे रानी कैकेई! आख़िर तुमने रामजी को वन में भेज ही दिया। तुम्हारा हृदय कितना कठोर है।।1।।
अवध के लोग अवध में नहीं रहेंगे, वे वहीं जाएँगे जहाँ राम निवास करेंगे''।।2।।
इसके बाद वे आपस में कहते हैं—यह निर्दयी कैकेई मर भी न गई। इसका कठोर मुख जल जाए।।3।।
राम और लक्ष्मण के बिना सूना हो गया, अब घर में नागिन लोटती
है।।4।।
- पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 78)
- संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
- प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
- संस्करण : 2002
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