कौरवी लोकगीत : गंगे तू मोहे मिल ले, मोहे मिल ले मेरी माँ
kaurwi lokgit ha gange tu mohe mil le, mohe mil le meri man
रोचक तथ्य
संदर्भ—गंगा महिमा।
गंगे तू मोहे मिल ले, मोहे मिल ले मेरी माँ, गंगे तू०।
हाथ में लोट्टा, बगल में धोती, सखियाँ बुलावन जायें, गंगे तू०।।1।।
कपड़े उतार धरी री पाल पै, जल में डोब्बा है पैर, गंगे तू०।
पहली गुचकी मारी गंगा मइया, कटे जनम के पाप, गंगे तू०।।2।।
दूजी गुचकी मारी गंगा मइया, मिट गए तीनों ताप, गंगे तू०।
तीज्जी गुचकी मारी गंगा मइया, मिट्टे सकल संताप, गंगे तू०।।3।।
- पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 390)
- संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
- प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
- संस्करण : 2002
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