भोजपुरी लोकगीत : जो पिया बनिहें रामा देसवा लागि जोगिया
bhojapuri lokgit ha jo piya banihen rama deswa lagi jogiya
रोचक तथ्य
संदर्भ—देशभक्ति।
जो पिया बनिहें रामा देसवा लागि जोगिया,
हमहू बनि जइबों तब जोगिनिया ए हरि।।1।।
देसवा के निदिया रामा सोइबो जगइबो,
देहिया में रमइबों भल भभुतिया ए हरी।।2।।
जहँवा जहँवा जइहे रामा हमरो रावल जोगिया,
सथवा सथवा डोलबि भरले झोरिया ए हरी।।3।।
भूखिया पिअसिया रामा तनिको न लगिहें,
बजर बनाइबि आपन देहिया ए हरी।।4।।
घरवा घरवा जाइ रामा करबि उपदेसवा,
सुफल बनाइबि हम जिनिगिया ए हरी।।5।।
यदि मेरे प्रियतम देश के लिए योगी बनेंगे तो मैं भी योगिनी बन जाऊँगी।।1।।
देशभक्ति के लिए ही मैं सोऊँगी, जागूँगी और अपनी देह में भस्म रमाऊँगी।।2।।
जहाँ-जहाँ मेरे योगी पति जाएँगे, वहाँ-वहा मैं उनके साथ-साथ झोली भरकर चलूँगी।।3।।
मुझे तनिक भी भूख-प्यास नहीं लगेगी और मैं अपनी देह को वज्र बना
लूँगी।।4।।
मैं घर-घर जाकर देशभक्ति का उपदेश करूँगी और अपने जीवन को सफल बनाऊँगी।।5।।
- पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 112)
- संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
- प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
- संस्करण : 2002
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