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तलफत बिन बालम जौ जीरा

talphat bin balam jau jira

ईसुरी

ईसुरी

तलफत बिन बालम जौ जीरा

ईसुरी

और अधिकईसुरी

    तलफत बिन बालम जौ जीरा!

    तनक बँधत ना धीरा!

    बोलन लगे पपीरा मोरें, बरसन लागौ नीरां॥

    आदी रात पलंग के ऊपर, उठत मदन की पीरा॥

    'ईसुर' कात बतादो सजनी, कबै मिलै जिउ हीरा॥

    बिना बालम के प्राण तड़प रहे हैं। तनिक धीरज नहीं बँधता। अब मोर और पपीहे बोलने लगे हैं। पानी बरस उठा। आधी रात में पलंग पर काम की आग भड़क उठती है। ईसुरी कहता है—अरे सजनी, मुझे बताओ—तुम्हारा हीरे सा हृदय कब मिलेगा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : ईसुरी की फागें
    • संपादक : घनश्याम कश्यप
    • प्रकाशन : शब्दपीठ
    • संस्करण : 1995

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