कारतूस
kaartoos
नोट
प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा दसवीं के पाठ्यक्रम में शामिल है।
पात्र — कर्नल, लेफ़्टीनेंट, सिपाही, सवार
अवधि — 5 मिनट
ज़माना — सन् 1799
समय — रात्रि का
स्थान — गोरखपुर के जंगल में कर्नल कालिंज के ख़ेमे का अंदरूनी हिस्सा।
(दो अँग्रेज़ बैठे बातें कर रहे हैं, कर्नल कालिंज और एक लेफ़्टीनेंट ख़ेमे के बाहर हैं, चाँदनी छिटकी हुई है, अंदर लैंप जल रहा है।)
कर्नल — जंगल की ज़िंदगी बड़ी ख़तरनाक होती है।
लेफ़्टीनेंट — हफ़्तों हो गए यहाँ ख़ेमा डाले हुए। सिपाही भी तंग आ गए हैं। ये वज़ीर अली आदमी है या भूत, हाथ ही नहीं लगता।
कर्नल — उसके अफ़साने सुन के रॉबिनहुड के कारनामे याद आ जाते हैं। अँग्रज़ों के ख़िलाफ़ उसके दिल में किस क़दर नफ़रत है। कोई पाँच महीने हुकूमत की होगी। मगर इस पाँच महीने में वो अवध के दरबार को अँग्रेज़ी असर से बिलकुल पाक कर देने में तक़रीबन कामयाब हो गया था।
लेफ़्टीनेंट — कर्नल कालिंज ये सआदत अली कौन है?
कर्नल — आसिफ़उद्दौला का भाई है। वज़ीर अली का और उसका दुश्मन। असल में नवाब आसिफ़उद्दौला के यहाँ लड़के की कोई उम्मीद नहीं थी। वज़ीर अली की पैदाइश को सआदत अली ने अपनी मौत ख़याल किया।
लेफ़्टीनेंट — मगर सआदत अली को अवध के तख़्त पर बिठाने में क्या मसलहत थी?
कर्नल — सआदत अली हमारा दोस्त है और बहुत ऐश पसंद आदमी है इसलिए हमें अपनी आधी मुमलिकत (जायदाद, दौलत) दे दी और दस लाख रुपए नगद। अब वो भी मज़े करता है और हम भी।
लेफ़्टीनेंट — सुना है ये वजीर अली अफ़ग़ानिस्तान के बादशाह शाहे-ज़मा को हिंदुस्तान पर हमला करने की दावत (आमंत्रण) दे रहा है।
कर्नल — अफ़ग़ानिस्तान को हमले की दावत सबसे पहले असल में टीपू सुल्तान ने दी फिर वज़ीर अली ने भी उसे दिल्ली बुलाया और फिर शमसुद्दौला ने भी।
लेफ़्टीनेंट — कौन शमसुद्दौला?
कर्नल — नवाब बंगाल का निस्बती (रिश्ते) भाई। बहुत ही ख़तरनाक आदमी है।
लेफ़्टीनेंट — इसका तो मतलब ये हुआ कि कंपनी के ख़िलाफ़ सारे हिंदुस्तान में एक लहर दौड़ गई है।
कर्नल — जी हाँ, और अगर ये कामयाब हो गई तो बक्सर और प्लासी के कारनामे धरे रह जाएँगे और कंपनी जो कुछ लॉर्ड क्लाइव के हाथों हासिल कर चुकी है, लॉर्ड वेल्जली के हाथों सब खो बैठेगी।
लेफ़्टीनेंट — वज़ीर अली की आज़ादी बहुत ख़तरनाक है। हमें किसी-न-किसी तरह इस शख़्स को गिरफ़्तार कर ही लेना चाहिए।
कर्नल — पूरी एक फ़ौज लिए उसका पीछा कर रहा हूँ और बरसों से वो हमारी आँखों में धूल झोंक रहा है और इन्हीं जंगलों में फिर रहा है और हाथ नहीं आता। उसके साथ चंद जाँबाज़ हैं। मुट्ठी भर आदमी मगर ये दमख़म है।
लेफ़्टीनेंट — सुना है वज़ीर अली जाती तौर से भी बहुत बहादुर आदमी है।
कर्नल — बहादुर न होता तो यूँ कंपनी के वकील को क़त्ल कर देता?
लेफ़्टीनेंट — ये क़त्ल का क्या क़िस्सा हुआ था कर्नल?
कर्नल — क़िस्सा क्या हुआ था उसको उसके पद से हटाने के बाद हमने वज़ीर अली को बनारस पहुँचा दिया और तीन लाख रुपया सालाना वजीफ़ा मुकर्रर कर दिया। कुछ महीने बाद गवर्नर जनरल ने उसे कलकत्ता (कोलकाता) तलब किया। वज़ीर अली कंपनी के वकील के पास गया जो बनारस में रहता था और उससे शिकायत की कि गवर्नर जनरल उसे कलकत्ता में क्यूँ तलब करता है। वकील ने शिकायत की परवाह नहीं की उलटा उसे बुरा-भला सुना दिया। वज़ीर अली के तो दिल में यूँ भी अँग्रेज़ों के ख़िलाफ़ नफ़रत कूट-कूटकर भरी है उसने ख़ंजर से वकील का काम तमाम कर दिया।
लेफ़्टीनेंट — और भाग गया?
कर्नल — अपने जानिसारों समेत आज़मगढ़ की तरफ़ भाग गया। आजमगढ़ के हुक्मरा ने उन लोगों को अपनी हिफ़ाज़त में घागरा तक पहुँचा दिया। अब ये कारवाँ इन जंगलों में कई साल से भटक रहा है।
लेफ़्टीनेंट — मगर वज़ीर अली की स्कीम क्या है?
कर्नल — स्कीम ये है कि किसी तरह नेपाल पहुँच जाए। अफ़ग़ानी हमले का इंतेज़ार करे, अपनी ताक़त बढ़ाए, सआदत अली को उसके पद से हटाकर ख़ुद अवध पर क़ब्ज़ा करे और अँग्रेज़ों को हिंदुस्तान से निकाल दे।
लेफ़्टीनेंट — नेपाल पहुँचना तो कोई ऐसा मुश्किल नहीं, मुमकिन है कि पहुँच गया हो।
कर्नल — हमारी फ़ौजें और नवाब सआदत अली ख़ाँ के सिपाही बड़ी सख़्ती से उसका पीछा कर रहे हैं। हमें अच्छी तरह मालूम है कि वो इन्हीं जंगलों में है। (एक सिपाही तेज़ी से दाख़िल होता है)
कर्नल — (उठकर) क्या बात है?
गोरा — दूर से गर्द उठती दिखाई दे रही है।
कर्नल — सिपाहियों से कह दो कि तैयार रहें (सिपाही सलाम करके चला जाता है)
लेफ़्टीनेंट — (जो खिड़की से बाहर देखने में मसरूफ़ था) गर्द तो ऐसी उड़ रही है जैसे कि पूरा एक काफ़िला चला आ रहा हो मगर मुझे तो एक ही सवार नज़र आता है।
कर्नल — (खिड़की के पास जाकर) हाँ, एक ही सवार है। सरपट घोड़ा दौड़ाए चला आ रहा है।
लेफ़्टीनेंट — और सीधा हमारी तरफ़ आता मालूम होता है (कर्नल ताली बजाकर सिपाही को बुलाता है)
कर्नल — (सिपाही से) सिपाहियों से कहो, इस सवार पर नज़र रखें कि ये किस तरफ़ जा रहा है (सिपाही सलाम करके चला जाता है)
लेफ़्टीनेंट — शुब्हे की तो कोई गुंजाइश ही नहीं तेज़ी से इसी तरफ़ आ रहा है (टापों की आवाज़ बहुत क़रीब आकर रुक जाती है)
सवार — (बाहर से) मुझे कर्नल से मिलना है।
गोरा — (चिल्लाकर) बहुत ख़ूब।
सवार — (बाहर से) सी।
गोरा — (अंदर आकर) हुज़ूर सवार आपसे मिलना चाहता है।
कर्नल — भेज दो।
लेफ़्टीनेंट — वज़ीर अली का कोई आदमी होगा हमसे मिलकर उसे गिरफ़्तार करवाना चाहता होगा।
कर्नल — ख़ामोश रहो (सवार सिपाही के साथ अंदर आता है)
सवार — (आते ही पुकार उठता है) तन्हाई! तन्हाई!
कर्नल — साहब यहाँ कोई ग़ैर आदमी नहीं है आप राजेदिल कह दें।
सवार — दीवार हमगोश दारद, तन्हाई
(कर्नल, लेफ़्टीनेंट और सिपाही को इशारा करता है। दोनों बाहर चले जाते हैं। जब कर्नल और सवार ख़ेमे में तन्हा रह जाते हैं तो ज़रा वक़्फ़े के बाद चारों तरफ़ देखकर सवार कहता है)
सवार — आपने इस मुक़ाम पर क्यों ख़ेमा डाला है?
कर्नल — कंपनी का हुक्म है कि वज़ीर अली को गिरफ़्तार किया जाए।
सवार — लेकिन इतना लावलश्कर क्या मायने?
कर्नल — गिरफ़्तारी में मदद देने के लिए।
सवार — वज़ीर अली की गिरफ़्तारी बहुत मुश्किल है साहब।
कर्नल — क्यों?
सवार — वो एक जाँबाज़ सिपाही है।
कर्नल — मैंने भी यह सुन रखा है। आप क्या चाहते हैं?
सवार — चंद कारतूस।
कर्नल — किसलिए?
सवार— वज़ीर अली को गिरफ़्तार करने के लिए।
कर्नल — ये लो दस कारतूस
सवार — (मुसकराते हुए) शुक्रिया।
कर्नल — आपका नाम?
सवार — वज़ीर अली। आपने मुझे कारतूस दिए इसलिए आपकी जान बख़्शी करता हूँ। (ये कहकर बाहर चला जाता है, टापों का शोर सुनाई देता है। कर्नल एक सन्नाटे में है। हक्का-बक्का खड़ा है कि लेफ़्टीनेंट अंदर आता है)
लेफ़्टीनेंट — कौन था?
कर्नल — (दबी ज़बान से अपने आप से कहता है) एक जाँबाज़ सिपाही।
- पुस्तक : स्पर्श (भाग-2), कक्षा-10 (पृष्ठ 109)
- रचनाकार : हबीब तनवीर
- प्रकाशन : एन.सी. ई.आर.टी
- संस्करण : 2022
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