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ग़ज़लें

ग़ज़ल फ़ारसी-साहित्य की प्रसिद्ध काव्य-विधा है जो बाद में उर्दू के साथ हिंदी-साहित्य में भी बेहद लोकप्रिय हुई। ग़ज़ल मूल रूप से एक ही बहर और वज़्न के अनुसार लिखी जाती है। इसके पहले शे'र को मतला' और अंतिम शे'र को मक़्ता कहते हैं, दो-दो कड़ियों के एक-एक चरण के साथ दूसरी कड़ी में अनुप्रास होता है। हिंदी-साहित्य में भी महत्त्वपूर्ण कवियों ने समय-समय ग़ज़ल में हाथ आज़माया है जिसे 'हिंदी-ग़ज़ल' के रूप में हिंदी-आलोचना में प्रमुखता से जगह मिली है।

1947 -2011

सामाजिक-राजनीतिक आलोचना के प्रखर कवि-ग़ज़लकार।

1933 -1975

हिंदी के अत्यंत लोकप्रिय कवि-लेखक-नाटककार। अपनी ग़ज़लों के लिए विशेष चर्चित।

1856 -1894

भारतेंदु युग के महत्त्वपूर्ण कवि, गद्यकार और संपादक। 'ब्राह्मण' पत्रिका से चर्चित।

1896 -1982

प्रमुख पूर्वाधुनिक शायरों में विख्यात, जिन्होंने आधुनिक उर्दू गज़ल के लिए राह बनाई/अपने गहरे आलोचनात्मक विचारों के लिए विख्यात/भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित

1764 -1803

जयपुर नरेश सवाई प्रतापसिंह ने 'ब्रजनिधि' उपनाम से काव्य-संसार में ख्याति प्राप्त की. काव्य में ब्रजभाषा, राजस्थानी और फ़ारसी का प्रयोग।

1883

भारतेंदु युग की अचर्चित कवयित्री।

1943

सुपरिचित कवि। ‘अलाव’ पत्रिका के संपादक।

1983

नई पीढ़ी के कवि-ग़ज़लकार। निम्नमध्यवर्गीय संवेदना के लिए उल्लेखनीय।

1944

‘एक ख़त जो किसी ने लिखा भी नहीं’ शीर्षक गीत के सुपरिचित गीतकार। कवि-सम्मेलनों में लोकप्रिय रहे।

1911 -1993

समादृत कवि-गद्यकार और अनुवादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

1958

नवें दशक के महत्त्वपूर्ण कवि। अपने काव्य-वैविध्य के लिए उल्लेखनीय। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित।

1896 -1961

छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। समादृत कवि-कथाकार। महाप्राण नाम से विख्यात।

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