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नारि सो धिकु जेहिं पुरुष न रम्में

nari so dhiku jehin purush na rammen

महापात्र नरहरि बंदीजन

महापात्र नरहरि बंदीजन

नारि सो धिकु जेहिं पुरुष न रम्में

महापात्र नरहरि बंदीजन

और अधिकमहापात्र नरहरि बंदीजन

    नारि सो धिकु जेहिं पुरुष रम्में,

    पुरुष सो धिकु जीवन अपकारी।

    वचन सो धिकु जो बोलि पलट्टिय,

    दानि सो धिकु जो करकस भारी॥

    प्रभु सो धिकु जो कृत गुन मेटत,

    जथा सकति बोल्लत कहि गारी।

    नरु सो धिक्कु जीवन धिकु ‘नरहरि’

    जिन केवल हरि भक्ति विसारी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी नीति-काव्य-धारा (पृष्ठ 23)
    • संपादक : भोलानाथ तिवारी
    • रचनाकार : महापात्र नरहरि बंदीजन
    • प्रकाशन : किताब महल, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1984

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