फागुन में सैंयाँ घरै नईयाँ
phagun mein sainyan gharai naiyan
फागुन में सैंयाँ घरै नईयाँ, हम कैसो करै कओ तो गुँईयाँ।
सब सखियाँ मिल मंगल गाबैं, हम तलफैं आँगन मईयाँ।
जब घर आबैं सईयाँ मोरे, पुन्य करो दैही गईयाँ।
कहँ पजनेस प्रान लये इननै, रितपत ने गै लईं बईयाँ॥
- पुस्तक : बुंदेलखंड की फागें (पृष्ठ 93)
- संपादक : अयोध्या प्रसाद गुप्त 'कुमुद'
- रचनाकार : पजनेश
- प्रकाशन : उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी
- संस्करण : 2000
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