Font by Mehr Nastaliq Web

बुराड़ी में चल रही हैं ‘उत्तराखंडी बोली-भाषा’ की शिक्षण कक्षाएँ

उत्तराखंड प्रवासी संगठन लोनी (एन.सी.आर.) और रेजिडेंट्स वेलफ़ेयर एसोसिएशन (रजि.) बुराड़ी के संयुक्त संयोजन से बच्चों के लिए उत्तराखंडी बोली-भाषा की शिक्षण-कक्षाएँ प्रत्येक रविवार को सुचारु रूप से चलाई जा रही हैं।

नत्थूपुरा बुराड़ी केंद्र में बीते रविवार, 14 जुलाई 2024 को हुई शिक्षण-कक्षा में मुख्य अतिथि लोक गायक कृपाल उप्रेती बच्चों के समक्ष मौजूद रहे। उन्होंने बच्चों को उत्तराखंड की संस्कृति और बोली-भाषा के बारे में महत्त्वपूर्ण बातें बताईं, डॉ. विनोद बछेती का भी आभार व्यक्त किया और सराहना की।

पिछले दो महीने से बुराड़ी के शास्त्री पार्क में प्रत्येक रविवार को हो रही उत्तराखंडी बोली-भाषा से जुड़ी शिक्षण-कक्षाओं के आयोजन का सीधा लक्ष्य यह है कि—उत्तराखंड के वे बच्चे जो दिल्ली में रहकर अपनी भाषा-संस्कृति-परंपराओं से परिचित नहीं हो पाए हैं और यहीं से उत्तराखंड की बोली-भाषा को जानना-सीखना-समझना चाहते हैं—वे सभी बच्चे और उनके परिवार के लोग इन शिक्षण-कक्षाओं से जुड़ सकते हैं।

आयोजन में ऐसे बच्चे बड़ी तादाद में भाग ले भी पा रहे हैं। बच्चों के साथ-साथ उनके  माता पिता भी बच्चों के उत्साह को  देखकर इन कक्षाओं में भाग ले रहे हैं। 

सप्ताह में एक दिन चलने वाली इस कक्षा में बच्चों को उत्तराखंडी बोली-भाषा के साथ-साथ उत्तराखंड की सांस्कृतिक परंपराओं-साहित्य और उसके  महत्त्व, देवभूमि के लोक-संगीत, कलाकारों और गायिकी की परंपरा से भी परिचित कराया जा रहा है।

आयोजन में उपस्थित रहे लोकगायक कृपाल उप्रेती ने अपनी गायकी से सभी को मंत्र-मुग्ध किया। साथ ही दो हफ़्तों से तैयारी कर रहे बाल कलाकारों के उत्तराखंडी सांस्कृतिक कार्यक्रम और नृत्य से आयोजन को सफल बनाया और सभी को अपनी कला का परिचय भी दिया।

'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए

Incorrect email address

कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें

आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद

हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे

25 अक्तूबर 2025

लोलिता के लेखक नाबोकोव साहित्य-शिक्षक के रूप में

25 अक्तूबर 2025

लोलिता के लेखक नाबोकोव साहित्य-शिक्षक के रूप में

हमारे यहाँ अनेक लेखक हैं, जो अध्यापन करते हैं। अनेक ऐसे छात्र होंगे, जिन्होंने क्लास में बैठकर उनके लेक्चरों के नोट्स लिए होंगे। परीक्षोपयोगी महत्त्व तो उनका अवश्य होगा—किंतु वह तो उन शिक्षकों का भी

06 अक्तूबर 2025

अगम बहै दरियाव, पाँड़े! सुगम अहै मरि जाव

06 अक्तूबर 2025

अगम बहै दरियाव, पाँड़े! सुगम अहै मरि जाव

एक पहलवान कुछ न समझते हुए भी पाँड़े बाबा का मुँह ताकने लगे तो उन्होंने समझाया : अपने धर्म की व्यवस्था के अनुसार मरने के तेरह दिन बाद तक, जब तक तेरही नहीं हो जाती, जीव मुक्त रहता है। फिर कहीं न

27 अक्तूबर 2025

विनोद कुमार शुक्ल से दूसरी बार मिलना

27 अक्तूबर 2025

विनोद कुमार शुक्ल से दूसरी बार मिलना

दादा (विनोद कुमार शुक्ल) से दुबारा मिलना ऐसा है, जैसे किसी राह भूले पंछी का उस विशाल बरगद के पेड़ पर वापस लौट आना—जिसकी डालियों पर फुदक-फुदक कर उसने उड़ना सीखा था। विकुशु को अपने सामने देखना जादू है।

31 अक्तूबर 2025

सिट्रीज़ीन : ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना

31 अक्तूबर 2025

सिट्रीज़ीन : ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना

सिट्रीज़ीन—वह ज्ञान के युग में विचारों की तरह अराजक नहीं है, बल्कि वह विचारों को क्षीण करती है। वह उदास और अनमना कर राह भुला देती है। उसकी अंतर्वस्तु में आदमी को सुस्त और खिन्न करने तत्त्व हैं। उसके स

18 अक्तूबर 2025

झाँसी-प्रशस्ति : जब थक जाओ तो आ जाना

18 अक्तूबर 2025

झाँसी-प्रशस्ति : जब थक जाओ तो आ जाना

मेरा जन्म झाँसी में हुआ। लोग जन्मभूमि को बहुत मानते हैं। संस्कृति हमें यही सिखाती है। जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है, इस बात को बचपन से ही रटाया जाता है। पर क्या जन्म होने मात्र से कोई शहर अपना ह

बेला लेटेस्ट