बुराड़ी में चल रही हैं ‘उत्तराखंडी बोली-भाषा’ की शिक्षण कक्षाएँ
हिन्दवी डेस्क
15 जुलाई 2024

उत्तराखंड प्रवासी संगठन लोनी (एन.सी.आर.) और रेजिडेंट्स वेलफ़ेयर एसोसिएशन (रजि.) बुराड़ी के संयुक्त संयोजन से बच्चों के लिए उत्तराखंडी बोली-भाषा की शिक्षण-कक्षाएँ प्रत्येक रविवार को सुचारु रूप से चलाई जा रही हैं।
नत्थूपुरा बुराड़ी केंद्र में बीते रविवार, 14 जुलाई 2024 को हुई शिक्षण-कक्षा में मुख्य अतिथि लोक गायक कृपाल उप्रेती बच्चों के समक्ष मौजूद रहे। उन्होंने बच्चों को उत्तराखंड की संस्कृति और बोली-भाषा के बारे में महत्त्वपूर्ण बातें बताईं, डॉ. विनोद बछेती का भी आभार व्यक्त किया और सराहना की।
पिछले दो महीने से बुराड़ी के शास्त्री पार्क में प्रत्येक रविवार को हो रही उत्तराखंडी बोली-भाषा से जुड़ी शिक्षण-कक्षाओं के आयोजन का सीधा लक्ष्य यह है कि—उत्तराखंड के वे बच्चे जो दिल्ली में रहकर अपनी भाषा-संस्कृति-परंपराओं से परिचित नहीं हो पाए हैं और यहीं से उत्तराखंड की बोली-भाषा को जानना-सीखना-समझना चाहते हैं—वे सभी बच्चे और उनके परिवार के लोग इन शिक्षण-कक्षाओं से जुड़ सकते हैं।
आयोजन में ऐसे बच्चे बड़ी तादाद में भाग ले भी पा रहे हैं। बच्चों के साथ-साथ उनके माता पिता भी बच्चों के उत्साह को देखकर इन कक्षाओं में भाग ले रहे हैं।
सप्ताह में एक दिन चलने वाली इस कक्षा में बच्चों को उत्तराखंडी बोली-भाषा के साथ-साथ उत्तराखंड की सांस्कृतिक परंपराओं-साहित्य और उसके महत्त्व, देवभूमि के लोक-संगीत, कलाकारों और गायिकी की परंपरा से भी परिचित कराया जा रहा है।
आयोजन में उपस्थित रहे लोकगायक कृपाल उप्रेती ने अपनी गायकी से सभी को मंत्र-मुग्ध किया। साथ ही दो हफ़्तों से तैयारी कर रहे बाल कलाकारों के उत्तराखंडी सांस्कृतिक कार्यक्रम और नृत्य से आयोजन को सफल बनाया और सभी को अपनी कला का परिचय भी दिया।
'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए
कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें
आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद
हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे
बेला पॉपुलर
सबसे ज़्यादा पढ़े और पसंद किए गए पोस्ट
07 अगस्त 2025
अंतिम शय्या पर रवींद्रनाथ
श्रावण-मास! बारिश की झरझर में मानो मन का रुदन मिला हो। शाल-पत्तों के बीच से टपक रही हैं—आकाश-अश्रुओं की बूँदें। उनका मन उदास है। शरीर धीरे-धीरे कमज़ोर होता जा रहा है। शांतिनिकेतन का शांत वातावरण अशांत
10 अगस्त 2025
क़ाहिरा का शहरज़ाद : नजीब महफ़ूज़
Husayn remarked ironically, “A nation whose most notable manifestations are tombs and corpses!” Pointing to one of the pyramids, he continued: “Look at all that wasted effort.” Kamal replied enthusi
08 अगस्त 2025
धड़क 2 : ‘यह पुराना कंटेंट है... अब ऐसा कहाँ होता है?’
यह वाक्य महज़ धड़क 2 के बारे में नहीं कहा जा रहा है। यह ज्योतिबा फुले, भीमराव आम्बेडकर, प्रेमचंद और ज़िंदगी के बारे में भी कहा जा रहा है। कितनी ही बार स्कूलों में, युवाओं के बीच में या फिर कह लें कि तथा
17 अगस्त 2025
बिंदुघाटी : ‘सून मंदिर मोर...’ यह टीस अर्थ-बाधा से ही निकलती है
• विद्यापति तमाम अलंकरणों से विभूषित होने के साथ ही, तमाम विवादों का विषय भी रहे हैं। उनका प्रभाव और प्रसार है ही इतना बड़ा कि अपने समय से लेकर आज तक वे कई कला-विधाओं के माध्यम से जनमानस के बीच रहे है
22 अगस्त 2025
वॉन गॉग ने कहा था : जानवरों का जीवन ही मेरा जीवन है
प्रिय भाई, मुझे एहसास है कि माता-पिता स्वाभाविक रूप से (सोच-समझकर न सही) मेरे बारे में क्या सोचते हैं। वे मुझे घर में रखने से भी झिझकते हैं, जैसे कि मैं कोई बेढब कुत्ता हूँ; जो उनके घर में गंदे पं