1911 - 2006
मिस्र के समादृत कथाकार, उपन्यासकार और पटकथा-लेखक। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।
बादल घिर आए और इतने गहरा गए मानों रात हो आई हो। हल्की-हल्की बूँदें पड़ने लगीं। सड़क की धूल ठंडी हवाओं ने झाड़ दी थी, बस उसकी उमस भरी गंध रह गई थी। राहगीर तेज़-तेज़ भागे जा रहे थे। कुछ लोग बस-स्टॉप की शेड के नीचे सिमट आए थे। यह साधारण-सा दृश्य ठहरा-ठहरा
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जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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